पाकिस्तान (Pakistan) में महंगाई से हाहाकार मचने की आशंका है। रिपोर्ट के मुताबिक महंगाई में भारी बढ़ोतरी से मांग में कमी आ सकती है। इसका सीधा असर अर्थव्यवस्था पर पड़ेगा और इमरान खान (Imran Khan) की सरकार के लिए अपने कर लक्ष्यों को पूरा करने में मुश्किलें पैदा हो सकती हैं। पाकिस्तानी अखबार डान ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि वैश्विक तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के चलते पाकिस्तान (Pakistan) के लिए आयात बिल का भुगतान करना मुश्किल होगा।
अखबार डान ने इस्माइल इकबाल सिक्योरिटी (Ismail Iqbal Securities) के अब्दुल्ला उमर के हवाले से कहा है कि तेल की कीमतों में बढ़ोतरी के कारण पाकिस्तान (Pakistan) सरकार को आयात बिल के भुगतान करने में मुश्किलें पेश आएंगी। रिपोर्ट के मुताबिक जनवरी से ही उच्च मुद्रास्फीति के कारण लोगों को अभी तक कोई राहत नहीं मिल पाई है। अब पेट्रोल और डीजल की कीमतों (petrol prices) में रिकार्ड बढ़ोतरी के कारण महंगाई का एक नया दौर शुरू हो गया है।
बढ़ती महंगाई को देखते हुए किसानों ने उत्पादन के लागत में भारी बढ़ोतरी की आशंका जताई है। इससे कृषि क्षेत्र पर भी तगड़ी मार पड़ सकती है। यही हाल रहा तो आने वाले दिनों में ग्रामीण अर्थव्यवस्था बुरी तरह प्रभावित हो सकती है। ‘पाकिस्तान किसान इत्तेहाद’ (Pakistan Kissan Ittehad) के खालिद खोखर कहते हैं कि पाकिस्तान (Pakistan) में खाद की कीमतें पहले से ही किसानों की पहुंच से बाहर हैं। महंगाई की नई लहर खाद्य और बागवानी उत्पादन को प्रभावित करेगी।
खोखर ने कहा कि यदि महंगाई की मार से भोजन, फलों और सब्जियों का उत्पादन गिरता है तो अंतरराष्ट्रीय कर्ज लेने से भी बात नहीं बनेगी। कर्ज की कोई भी रकम पाकिस्तान (Pakistan) की मदद करने में सक्षम नहीं होगी। वैसे ही पेट्रोलियम उत्पादों की कीमतें बढ़ने से पाकिस्तान (Pakistan) में जरूरी वस्तुओं की कीमतें नई ऊंचाई पर पहुंच गई हैं। इससे गरीब और मध्यम आय वाले परिवारों पर भारी दबाव बढ़ा है।