महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह का गुरुवार को लंबी बीमारी के बाद पटना में निधन हो गया। वशिष्ठ नारायण सिंह की मौत के बाद पटना के पीएमसीएच प्रशासन की बड़ी लापरवाही सामने आई है। वशिष्ठ बाबू के निधन के बाद अस्पताल प्रबंधन द्वारा उनके परिजनों को शव ले जाने के लिए एंबुलेंस तक नहीं मुहैया कराया गया।
इस महान विभूति के निधन के बाद उनके छोटे भाई ब्लड बैंक के बाहर शव के साथ खड़े रहे। निधन के बाद पीएमसीएच प्रशासन द्वारा केवल डेथ सर्टिफिकेट (मृत्यु प्रमाणपत्र) देकर पल्ला झाड़ लिया गया। इस दौरान जब वशिष्ठ नारायण सिंह के छोटे भाई से पूछा गया तो उन्होंने कहा कि हम अपने पैसे से अपने भाई का शव गांव ले जाएंगे।
उन्होंने कहा कि मेरे भाई के निधन की खबर के बाद से न तो कोई अधिकारी आया है और न ही कोई राजनेता। वशिष्ठ नारायण सिंह के छोटे भाई ने कैमरे के सामने रोते हुए कहा कि अंधे के सामने रोना, अपने दिल का खोना।
उन्होंने कहा कि मेरे भाई के साथ लगातार अनदेखी हुई है। जब एक मंत्री के कुत्ते का पीएमसीएच में इलाज हो सकता है तो फिर मेरे भाई का क्यों नहीं। 74 वर्षीय महान गणितज्ञ वशिष्ठ नारायण सिंह ने अपनी जिंदगी के 44 साल मानसिक बीमारी सिजेफ्रेनिया में गुजारा।
आज भी कहा जाता है कि इस बीमारी के शुरुआती वर्षों में अगर उनकी सरकारी उपेक्षा नहीं हुई होती तो आज वशिष्ठ नारायण सिंह का नाम दुनिया के महानतम गणितज्ञों में सबसे ऊपर होता।