उन्नाव दुष्कर्म पीड़िता के पिता की पुलिस हिरासत में मौत के मामले में दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने यूपी के पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर सहित 7 लोगों को दोषी करार दिया है। दोषी करार देने के दौरान तीस हजारी कोर्ट के सत्र न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने कहा कि यह मेरे करियर का सबसे बेहतरीन ट्रायल था। सीबीआइ और पीड़िता के वकील धर्मेंद्र कुमार मिश्रा ने अच्छा काम किया। वे बधाई के पात्र हैं। वहीं दोषी कुलदीप सेंगर ने अदालत में निर्दोष होने की गुहार लगाई, लेकिन जज ने कहा कि तुमने खुद को बचाने के लिए तकनीक का अच्छा इस्तेमाल किया, लेकिन कामयाब नहीं हो सके। हमें सब दिखता है।
मामले में पीड़ित पक्ष की तरफ से 55 लोगों की गवाही हुई थी, जबकि आरोपित पक्ष की तरफ से 9 गवाहों ने अपने बयान दर्ज कराए थे। सीबीआइ ने इस मामले में कुलदीप सेंगर को आरोपित नहीं बनाया था, लेकिन पीड़ित पक्ष के वकील की दलीलों के बाद कुलदीप सेंगर पर भी ट्रायल हुआ।
CBI की तरफ से दायर आरोपपत्र में कहा गया है कि पीड़िता के पिता को मारा गया था। इस दौरान उनके शरीर पर 18 जगह चोट आई। इस वजह से घटना के चौथे दिन 9 अप्रैल 2018 में पुलिस हिरासत में उनकी मृत्यु हो गई थी। मृतक पर झूठा केस दर्ज किया गया था और यह सब कुलदीप सेंगर के इशारों पर हुआ था।
उन्नाव पीड़िता के पिता की हिरासत में मौत के मामले में तीस हजारी अदालत के सत्र न्यायाधीश धर्मेश शर्मा ने पूर्व विधायक कुलदीप सेंगर सहित सात आरोपितों को दोषी करार दिया, जबकि चार को सबूतों के अभाव में बरी कर दिया गया। अदालत 12 मार्च को बहस के बाद सजा सुनाएगी। दोषियों को IPC की धारा 304 (गैर इरादतन हत्या) और 120 B (साजिश रचना) के तहत दोषी करार दिया गया है। 304 में अधिकतम उम्र कैद और जुर्माना और न्यूनतम 10 साल कारावास और जुर्माना का प्रावधान है। सेंगर दुष्कर्म के मामले में पहले से ही उम्र कैद पा चुका है।