हिन्दी पंचांग के अनुसार, शरद पूर्णिमा हर वर्ष आश्विन मास में आती है। आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को Sharad Purnima या आश्विन पूर्णिमा कहते हैं। इस वर्ष Sharad Purnima या आश्विन पूर्णिमा 30 अक्टूबर दिन शुक्रवार को है। शरद पूर्णिमा का एक विशेष धार्मिक महत्व होता है। इस दिन धन, वैभव और ऐश्वर्य की देवी माता लक्ष्मी की पूजा की जाती है। शरद पूर्णिमा को कोजागरी पूर्णिमा या कोजागरी Laxmi Puja के नाम से भी जाना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, Sharad Purnima के दिन ही माता लक्ष्मी की अवतरण हुआ था।
शरद पूर्णिमा सही तिथि
आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि का प्रारंभ 30 अक्टूबर को शाम 05 बजकर 45 मिनट से हो रहा है, जो अगले दिन 31 अक्टूबर को रात 08 बजकर 18 मिनट तक रहेगा। Sharad Purnima 30 अक्टूबर को होगी। Sharad Purnima आश्विन मास में आती है, इसलिए इसे आश्विन पूर्णिमा भी कहते हैं।
शरद पूर्णिमा का महत्व
ज्योतिष के मुताबिक वर्ष में एक बार Sharad Purnima के दिन ही चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है। ऐसी मान्यता है कि Sharad Purnima के दिन चंद्रमा की किरणों से अमृत की बूंदें बरसती हैं, जो स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होती हैं। पूर्णिमा की चांदनी में खीर बनाकर खुले आसमान में रखते हैं, ताकि चंद्रमा की अमृत युक्त किरणें इसमें आएंगी और खीर औषधीय गुणों से युक्त होकर अमृत के समान हो जाएगा। उसका सेवन करना स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद होगा।
Sharad Purnima के दिन द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण ने गोपियों के संग महारास रचाया था।
शरद पूर्णिमा का महत्व Laxmi Puja के लिए भी है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, Sharad Purnima को माता लक्ष्मी रातभर विचरण करती हैं। जो लोग माता लक्ष्मी की पूजा करते हैं और अपने घर में उनको आमंत्रित करते हैं, उनके यहां वर्ष भर धन वैभव की कोई कमी नहीं रहती है।