Corona और फिर इसकी वजह से Lockdown के मार से लोग उबरे भी नही है। कि लोगों को अब मंहगाई का सामना करना पड़ सकता है। जिसका असर रसोई का बजट बिगड़ सकता है। केंद्र सरकार खाद्य तेल पर आयात शुल्क बढ़ाने पर विचार कर रही है। ऐसी उम्मीद जताई जा रही है, कि फलों और सब्जियों की कीमतों इजाफा हो सकता है। होटल, रेस्तरां खुलने के बाद लोगों के लिए बाहर का खाना उनके बजट को असंतुलित कर सकता है। कुछ समय पहले मोदी सरकार ने आत्मनिर्भर भारत की घोषणा कर उसे बढ़ाने पर जोर दिया था। सरकार का मकसद आयात शुल्क में बढ़ोतरी कर देश में तिलहन के उत्पादन को बढ़ावा देना है।
जानकारी के मुताबिक देश विदेशों से पाम का तेल आयात करता है, यदि सरकार टैक्स बढ़ाती है तो मूल्य में वृद्धि होने के कारण उसका आयात घट जाएगा। जिससे देश में सरसों, सोयाबीन और मूंगफली तलहन की मांग बढ़ेगी। मांग बढ़ने के साथ इसके उत्पादन में वृद्धि होगी। इस टैक्स से आने वाले पैसे का इस्तेमाल देश में तिलहन के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए किया जाएगा। जिससे टैक्स में 5 फीसदी की बढ़ोतरी की जा सकती है।
सरकार के अनुसार कुछ सालों से देश में खाद्य तेलों का आयात बढ़ गया है। कुल खपत के करीब 70 फीसदी खाने का तेल आयात किया जाता है। जिस पर सालाना लगभग 10 अरब डॉलर खर्च किया जाता है। वहीं भारत में कच्चे सरसों तेल, सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी के तेल पर 35 फीसदी आयात शुल्क लगता है। वहीं रिफाइंड पाम ऑयल पर 37.5 फीसदी और रिफाइंड ऑयल पर 45 फीसदी का आयात शुल्क लगता है।