KAYASTH COMMUNITY NEEDS RESERVATION

“कायस्थों को मिले सत्ता में भागीदारी”-आनंद माधव

जिस तरह संथाल परगना में अनुसूचित जनजाति पहाड़िया लगभग विलुप्त होता चला जा रहा है, उसी तरह बिहार में कायस्थ नामक प्रजाति राजनीति से विलुप्त होती चली जा रही है। एक बयान जारी कर यह बात बिहार कांग्रेस रिसर्च विभाग के चेयरमैन एवं प्रवक्ता आनन्द माधव ने कही। उन्होंने कहा कि एक समय था आज़ादी के बाद जब बिहार विधान सभा और विधान परिषद दोनों में कायस्थों का बोल बाला हुआ करता था, क्योंकि उस समय राजनीति जातियों में बँटी नहीं थी।पर आज सत्ता से कायस्थ समुदाय कोशों दूर है।

हाल ही में महागठबंधन की सरकार बनीं, लगभग हर जाति का प्रतिनिधित्व है, पर कायस्थों का नहीं।यह भी सच है कि पूरे महागठबंधन में एक भी कायस्थ जाति का प्रतिनिधि ना तो विधान परिषद में है और ना ही विधान सभा में। लेकिन जिस राज्य में मुख्यमंत्री बनने के बाद लोग विधान परिषद से आ जाते हैं, उस राज्य में कायस्थों को भी तो यह अवसर दिया ही जा सकता है।बिहार में इस समुदाय की संख्या दो प्रतिशत से अधिक नहीं है। वे खुद एक दो जगहों को छोड़कर स्वयं अपने बल पर नहीं जीत सकते हैं, लोकिन लगभग दो दर्जन क्षेत्रों में कायस्थों के बल पर किसी भी दल का उम्मीदवार जीत सकता है। लोग भूल जाते है कि इसी समुदाय से बिहार प्रांत के गठन में सच्चिदानंद सिन्हा का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। बिहार- बिहार बना यह लार्ड सच्चिदानंद सिन्हा जी की ही देन है।लार्ड सिन्हा संविधान सभा के पहले अध्यक्ष थे, तब उन्हें अंतरिम अध्यक्ष भी माना गया। 1950 में उनकी मृत्यु के बाद बिहार के राजेंद्र प्रसाद को संविधान सभा का अध्यक्ष चुना गया।बाबू राजेन्द्र प्रसाद देश के प्रथम राष्ट्रपति बने। जयप्रकाश नारायण ने अपने आह्वान पर पूरे देश का तख़्त पलट दिया। लेकिन जातिगत राजनीति के कारण कायस्थ आज पिछड़ रहे और सत्ता में हिस्सेदारी से बाहर रह रहे हैं। हर दल उनसे काम तो ले लेता लेकिन सत्ता में भागीदारी नहीं देता।श्री माधव ने कहा कि यह बड़े ही अफ़सोस की बात है कि इतने प्रबुद्ध जाति को राजनीति में स्थान नहीं दिया जा रहा। कायस्थ विवेकशील एवं बुद्धिमान होते है, पर राजनीति तो संख्या बल मात्र देखती।शायद राजनीतिक दल ये भूल जा रहे हैं कि कायस्थ जब अपने पर आ जाये तो बड़े बड़ों के पसीने छूट जाते है।

हम इस महागठबंधन की सरकार से अपील करते है कि कायस्थों की अनदेखी ना करें। राजनीतिक सत्ता में उन्हें उचित सम्मान दें तथा उनकी प्रबुद्धता का राज्य के विकास में लाभ उठायें। श्री माधव ने कायस्थ समुदाय से यह अपील की है कि ‘आइये अपने राजनीतिक अस्तित्व के लिये एक साथ मिलकर संघर्ष करें’। उन्होंने यह भी कहा कि समय आ गया है जब सभी कायस्थ नेताओं के एक मंच पर आकर राजनीति में अपनी भागीदारी के लिये आवाज़ उठाना चाहिये ।

बिहार के इन 2 हजार लोगों का धर्म क्या है? विश्व का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड कौन सा है? दंतेवाड़ा एक बार फिर नक्सली हमले से दहल उठा SATISH KAUSHIK PASSES AWAY: हंसाते हंसाते रुला गए सतीश, हृदयगति रुकने से हुआ निधन India beat new Zealand 3-0. भारत ने किया कीवियों का सूपड़ा साफ, बने नम्बर 1