शारदीय नवरात्रि में कन्या पूजा, कुमारिका पूजा या कंजक पूजा का महत्व काफी बड़ा है। Navratri स्वयं मां आदिशक्ति की उपासना का पर्व है और कन्याओं को मां दुर्गा का स्वरुप माना जाता है। नवरात्रि के समय में 02 से 10 वर्ष तक की कन्याओं की पूजा की जाती है। वैसे तो Navratri के प्रत्येक दिन के लिए Kanya Puja का विधान है, लेकिन आमतौर पर दुर्गा अष्टमी और महानवमी के दिन Kanya Puja की जाती है।
कन्या पूजा का मुहूर्त
इस वर्ष शारदीय Navratri में Kanya Puja 24 अक्टूबर दिन शनिवार को की जाएगी। अष्टमी तिथि का प्रारंभ 23 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 57 मिनट पर हो रहा है, जो 24 अक्टूबर को सुबह 06 बजकर 58 मिनट तक रहेगा। उसके बाद से महानवमी प्रारंभ हो जाएगी। ऐसे में Kanya Puja 24 अक्टूबर को करना चाहिए।
कन्या पूजा का नियम
Kanya Puja में आपको 02 वर्ष से लेकर 10 वर्ष तक की कन्याओं को शामिल करना चाहिए। जब आप Kanya Puja करने जाएं तो 02 से 10 वर्ष तक की 9 कन्याओं को भोज के लिए आमंत्रित करें तथा उनके साथ एक छोटा बालक भी होना चाहिए। नौ कन्याएं नौ देवियों का स्वरुप मानी जाती हैं और छोटा बालक बटुक भैरव का स्वरुप होते हैं। कन्याओं को घर आमंत्रित करके उनके पैर पानी से धोते हैं, फिर उनको चंदन लगाते हैं, फूल, अक्षत् अर्पित करने के बाद भोजन परोसते हैं। फिर उनके चरण स्पर्श करके आशीष लेते हैं और उनको दक्षिणा स्वरुप कुछ उपहार भी देते हैं।
हर कन्या का अलग रुप
Navratri में सभी उम्र वर्ग की कन्याएं मां दुर्गा के विभिन्न रुपों का प्रतिनिधित्व करती हैं। 10 वर्ष की कन्या सुभद्रा, 9 वर्ष की कन्या दुर्गा, 8 वर्ष की शाम्भवी, 7 वर्ष की चंडिका, 6 वर्ष की कालिका, 5 वर्ष की रोहिणी, 4 वर्ष की कल्याणी, 3 वर्ष की त्रिमूर्ति और 2 वर्ष की कन्या को कुंआरी माना जाता है।