झारखंड में महासमर का ऐलान हो चुका है। सेनाएं रणक्षेत्र में कूच को तैयार है। राज्य विधानसभा के महामुकाबले की तस्वीर भी काफी हद तक साफ हो चुकी है। मुकाबला भाजपा-आजसू गठबंधन बनाम झामुमो-कांग्रेस में ही होगा। राजद का यूपीए फोल्डर में रहना तय है। मौजूदा वक्त में वामदल भी इसी पाले में रहना पसंद करेंगे। वहीं झाविमो अब तक यूपीए के किसी खांचे में फिट होता नहीं दिखाई दे रहा है।
झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी के तेवर भी गठबंधन को लेकर तीखे बने हुए हैं, ऐसे में कोई सुलह का रास्ता निकलेगा, फिलहाल इसकी सांभवना कम ही दिख रही है। झारखंड में दोनों ही ओर से गठबंधन ही आमने-सामने टकराएंगे। लेकिन गठबंधन की गांठों को सुलझाना अभी बाकी है। पहली लड़ाई तो राजनीतिक दलों को आपस में सीटों के तालमेल को लेकर लडऩी होगी, महामुकाबला तो इसके बाद शुरू होगा।
सीटों को लेकर राजग में भी रार
भाजपा-आजसू में बड़े भाई और छोटे भाई का रिश्ता है, लेकिन इस बार सीटों के तालमेल को लेकर इनके रिश्तों में तनिक तल्खी दिखाई दे रही है। 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने महज आठ सीटों में आजसू को निपटा दिया था, जिसमें से उसने पांच सीटों पर जीत दर्ज की थी। उपचुनाव में एक सीट गंवाने के बाद मौजूदा विधानसभा में उसके विधायकों की संख्या चार है।
इस बार आजसू ने चुनाव से पूर्व 20 सीटों पर अपना दावा ठोक दिया है। हालांकि इस दावे को भाजपा का प्रदेश नेतृत्व नकार चुका है और पिछले चुनाव के अनुरूप ही उसे सीटें देने की बात कही है। भाजपा और आजसू के बीच सीटों के तालमेल की गुत्थी दिल्ली में ही सुलझने के आसार है। माना जा रहा है कि दोनों के बीच एक दर्जन सीटों पर सहमति बन सकती है।