हिन्दू कैलेंडर के अनुसार, हर वर्ष आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जीवित्पुत्रिका व्रत होता है। इस वर्ष यह 10 सितंबर दिन गुरुवार को है। Jivitputrika Vrat को जितिया या जिउतिया या जीमूत वाहन का व्रत आदि नामों से जाना जाता है। इस दिन माताएं विशेषकर पुत्रों के दीर्घ, आरोग्य और सुखमय जीवन के लिए यह व्रत रखती हैं। जिस प्रकार पति की कुशलता के लिए निर्जला व्रत तीज रखा जाता है, ठीक वैसे ही Jivitputrika Vrat निर्जला रहा जाता है। तो आइए जानते हैं कि इस वर्ष Jivitputrika Vrat की पूजा का मुहूर्त एवं महत्व क्या है।
व्रत एवं पूजा मुहूर्त
आश्विन मास के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि का प्रारंभ 09 सितंबर दिन बुधवार को दोपहर 01 बजकर 35 मिनट से हो रहा है, जो 10 सितंबर दिन गुरुवार को दोपहर 03 बजकर 04 मिनट तक है। व्रत का समय उदया तिथि में मान्य होगा, ऐसे में Jivitputrika Vrat 10 सिंतबर को होगा।
पारण का समय
Jivitputrika Vrat रखने वाली माताएं 11 सितंबर दिन शुक्रवार के सुबह सूर्योदय के बाद से दोपहर 12 बजे तक पारण करेंगी। उनको दोपहर से पूर्व पारण कर लेना चाहिए।
जीवित्पुत्रिका व्रत का महत्व
Jivitputrika Vrat की कथा महाभारत से जुड़ी है। अश्वत्थामा ने बदले की भावना से उत्तरा के गर्भ में पल रहे पुत्र को मारने के लिए ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया। उत्तरा के पुत्र का जन्म लेना जरुरी था। तब भगवान श्रीकृष्ण ने अपने सभी पुण्यों के फल से उस बच्चे को गर्भ में ही दोबारा जीवन दिया। गर्भ में मृत्यु को प्राप्त कर पुन: जीवन मिलने के कारण उसका नाम जीवित पुत्रिका रखा गया। वह बालक बाद में राजा परीक्षित के नाम से प्रसिद्ध हुआ।
Jivitputrika Vrat कठिन व्रतों में से एक है। इस व्रत में बिना पानी पिए कठिन नियमों का पालन करते हुए व्रत पूर्ण किया जाता है। संतान की सुरक्षा माताओं के लिए पहली प्राथमिकता होती है, इसलिए वे ऐसा कठिन व्रत करती हैं।