हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (से) ने गुरुवार को महागठबंधन से नाता तोड़कर राज्य की दलित सियासत को नया रंग दे दिया। कोर कमेटी की बैठक के बाद जीतन राम मांझी ने खुद को पीछे कर अपने बेटे एवं पार्टी के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव सह विधान पार्षद डॉ संतोष कुमार सुमन को आगे कर दिया। कुर्सी पर बैठे पिता के बगल में खड़े होकर संतोष ने RJD और उनके नेता तेजस्वी प्रसाद यादव को खूब कोसा।
संतोष का कहना था कि हम बहुत सारे लोगों से बात कर रहे हैं। अकेले चुनाव भी लड़ सकते हैं। अभी तय नहीं हुआ है कि NDA में जायेंगे। हालांकि, कुछ भी हो सकता है, हम किसी नतीजे पर नहीं पहुंचे हैं। सालों तक साथ देने के बाद महागठबंधन से अलग होने के सवाल पर कहा कि RJD का रवैया ठीक नहीं है। वह राहुल गांधी और RLSP के साथ भी अच्छा नहीं कर रही। हम एक साथ बैठने, एक रणनीति बनाने, कॉमन मिनिमम प्रोग्राम की बात कर रहे थे, लेकिन RJD के नेता द्वारा हमारी उपेछा की गयी।
उन्होंने कहा कि राहुल गांधी के कहने पर हमने बहुत इंतजार किया। जीतन राम मांझी 3 बार दिल्ली गये। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग से बात की, लेकिन राहुल गांधी भी RJD के आगे लाचार है। हमको समझ में आ गया है कि RJD बिहार और दलित के विकास- हित की नहीं सोच रहा है। बिहार के विकास और दलितों की बात उठाने में हम पिछड़ न जायें इसलिये अलग होने यह निर्णय लिया है। HAM अकेले भी चलेंगे तो कोई न कोई साथ आ जायेगा।
RJD से नाराजगी को लेकर महागठबंधन से नाता तोड़ने के बाद हम का अगला कदम क्या होगा, इससे जल्दी ही पर्दा उठ जायेगा। पिछले दिनों जिस तरह से मांझी नीतीश कुमार की तारीफ कर रहे हैं उससे प्रबल संभावना जीतन राम मांझी की घर वापसी को लेकर दिख रही है। JDU में हम का विलय नहीं होता है, तो संभावना है कि वह 8 से 12 सीट पर NDA घटक दल के रूप में चुनाव लड़े।