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चांद की चौखट पर कदम रखते ही चंद्रयान-3 का ISRO को अनोखा संदेश, मैं…

भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो (ISRO) और उसके बेहद खास चंद्रयान-3 के लिए आज शनिवार का दिन बेहद शानदार रहा. भारत का तीसरा मानवरहित चंद्रयान-3 (Chandrayaan-3) आज शाम पृथ्वी की कक्षा से निकल चंद्रमा की कक्षा में पहुंच गया. चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने के बाद यान ने इसरो को अपना पहला संदेश भी भेजा.

चंद्रयान-3 को बिना किसी गड़बड़ी के चांद के करीब लाने वाली जरुरी प्रक्रिया बेंगलुरु स्थित अंतरिक्ष इकाई से किए जाने के बाद यान ने इसरो को संदेश भेजा, ‘मैं चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण महसूस कर रहा हूं.’ इससे पहले चंद्रयान-3 कामयाबी के साथ चंद्रमा की कक्षा में प्रवेश कर गया. चंद्रयान-3 को आज 22 दिन पहले चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के लिए लॉन्च किया गया था, जहां अब तक कोई भी देश नहीं पहुंच सका है.

चंद्रयान-3 के लिए 600 करोड़ खर्च
भारतीय अंतरिक्ष एजेंसी ने अपनी महत्वाकांक्षी मिशन चंद्रयान-3 के लिए 600 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. यान का चंद्रमा की कक्षा में सफलतापूर्वक पहुंचना इसरो के अंतरिक्ष के मिशन के लिए मील का पत्थर साबित हुआ.

चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को प्रक्षेपित किया गया था और तब से लेकर यह चंद्रमा की करीब दो-तिहाई से ज्यादा की दूरी तय कर चुका है. चंद्रयान का आगे के सफर में 18 दिन बचे हैं और यह बेहद चुनौतीपूर्ण भी है.

इसरो ने सैटेलाइट से मिले संदेश को अपने केंद्रों के साथ शेयर किया, जिसमें लिखा था, ‘एमओएक्स, इस्ट्रैक, यह चंद्रयान-3 है. मैं चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण महसूस कर रहा हूं.’ इसने आगे बताया, ‘चंद्रयान-3 कामयाबी के साथ चंद्रमा की कक्षा में स्थापित हो गया है. मिशन ऑपरेशंस कॉम्प्लेक्स (MOX), इसरो टेलीमेट्री, ट्रैकिंग एंड कमांड नेटवर्क (ISTRC), बेंगलुरु की ओर से इसे निर्देशित किया गया था.’

कल से चंद्रयान की कक्षा को घटाया जाएगा
इसरो ने बताया कि हमारा अगला मिशन रविवार रात 11 बजे शुरू होगा जिसके तहत चंद्रयान-3 की कक्षा को घटाया जाएगा. कल रविवार की इस प्रक्रिया कवायद के बाद, 17 अगस्त तक तीन और ऑपरेशन होंगी जिसके बाद रोवर प्रज्ञान के साथ लैंडिंग मॉड्यूल विक्रम यान के प्रपल्शन मॉड्यूल से अलग हो जाएगा. इसके बाद, लैंडर पर डी-आर्बिटिंग की प्रक्रिया शुरू की जाएगी.

14 जुलाई को हुई लॉन्चिंग के बाद से इसरो चंद्रयान-3 को पृथ्वी से दूर चंद्रमा की कक्षा की तरफ ले जाने का काम कर रहा था. इसके बाद एक अगस्त को एक महत्वपूर्ण प्रक्रिया के तहत चंद्रयान को पृथ्वी की कक्षा से निकालते हुए चंद्रमा की कक्षा में कामयाबी के साथ भेज दिया गया.

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