इराक में भ्रष्टाचार और बेरोजगारी को लेकर करीब हफ्तेभर से विरोध प्रदर्शन चल रहा है। जिसके बाद शुक्रवार को इराक की राजधानी बगदाद में जब प्रदर्शनकारियों ने हिंसक मोड़ अपनाया तो इराकी सुरक्षा बालों ने उन पर फायरिंग कर दी। इराकी मानवाधिकार आयोग ने शुक्रवार को बताया कि बगदाद और अन्य शहरों में पिछले चार दिनों में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हिंसक झड़प चल रही है। इस झड़प में 60 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 1600 लोग घायल हैं।
मुक्तदा अल सद्र ने एक बयान में कहा कि ‘और अधिक मौतों से बचने के लिए सरकार को इस्तीफा देना चाहिए और संयुक्त राष्ट्र की निगरानी में मध्यावधि चुनाव कराए जाने चाहिए।’ उन्होंने कहा कि इराक के लोगों का खून बह रहा है और वह इस तरह चुप नहीं रह सकते हैं। गौरतलब है कि संसद में पूर्व शिया मिलिशिया नेता मुक्तदा अल सद्र के दल के सबसे अधिक सदस्य हैं।
सद्र के बयान ने प्रधानमंत्री अदेल अब्देल मेहदी पर दबाव बना दिया है जो अशांति को दूर करने के लिए संघर्ष कर रहे हैं। इससे पहले शुक्रवार को शीर्ष आध्यात्मिक नेता अयातुल्ला अली सिस्तानी ने विरोध प्रदर्शन किया गया।
प्रधानमंत्री पर बढ़ा दबाव
इराक की बहुसंख्यक शिया आबादी में सम्मानित सिस्तानी के समर्थन से प्रदर्शनकारियों में जश्न का महौल बना हुआ है, जिसका प्रदर्शन उन्होंने फायरिंग करके किया, इसके साथ ही तीव्र हो रहे प्रदर्शनों को काबू करने की चुनौती का सामना कर रहे प्रधानमंत्री अदेल अब्देल मेहदी पर और दबाव बढ़ गया है
शिया धार्मिक स्थलों की यात्रा टालने की सलाह
सिस्तानी के इस रुख की वजह से मेहदी सरकार को बड़ा झटका लगा है। क्योंकि इराक में राजनीतिक संकट के दौरान शीर्ष शिया नेता लगातार अंतिम मध्यस्थ की भूमिका निभाते रहे हैं। सिस्तानी ने ही 2014 में प्रधानमंत्री नूरी अल मालिकी की सरकार को सत्ता से बाहर कर दिया था।