मां दुर्गा का सप्तम् स्वरूप मां कालरात्रि देवी का है। सदैव शुभ फल देने के कारण इनको शुभंकरी भी कहा जाता है।
कैसा है मां का स्वरूप
नवरात्रि के नौ दिन देवी दुर्गा के अलग-अलग नौ रूपों को समर्पित हैं। देवी दुर्गा के प्रत्येक रूप की एक विशेष दिन पूजा की जाती है, नवरात्रि में महा सप्तमी मां के सातवें अवतार कालरात्रि को समर्पित है, ये नाम दो शब्दों के साथ बनाया गया है, काल का अर्थ है मृत्यु और रत्रि का अर्थ है अंधकार, इसलिए, कालरात्रि का अर्थ है, काल या समय की मृत्यु। कहा जाता है कि मां कालरात्रि अज्ञान का नाश करती हैं और अंधकार में रोशनी लाती हैं।
दुष्टों का विनाश करती हैं मां कालरात्रि
मां कालरात्रि दुष्टों का विनाश करने के लिए जानी जाती है इस कारण इनका नाम कालरात्रि पड़ गया। देवी कालरात्रि तीन नेत्रों वाली माता है। उनके समस्त अंग बिजली के समान विराल है। मां काले रंग और अपने विशाल बालों को फैलाए हुए चार भुजाओं वाली दुर्गा माता है।
सिंह के कंधे पर सवार मां कालरात्रि का विकराल रूप अद्रभुत हैं और इनकी सवारी गधा है जो देवी कालरात्रि को लेकर इस संसार से बुराई का सर्वनाश कर रहा है। देवी कालरात्रि अपने हाथ में चक्र, गदा, तलवार,धनुष,पाश और तर्जनी मुद्रा धारण किए हुए है तथा माथे पर चन्द्रमा का मुकुट धारण किए हुए हैं ।
कैसे करें मां का पूजा-अर्चना
मां कालरात्रि की पूजा ब्रह्ममुहूर्त में की जाती है। तांत्रिक क्रिया से साधना करने वाले इनकी पूजा रात के समय करते हैं। इस दिन मां कालरात्रि को कुमकुम, लाल फूल, रोली चढ़ाएं। माला के रूप में मां को नीबूओं की माला पहनाएं और उनके आगे तेल का दीपक जलाकर उनकी अराधना करें। इसके बाद माता की कथा पढ़ें या सुने और अंत में उनकी आरती उतार कर उनको भोग लगाएं।