Project 15B: समंदर को दुश्मन की कब्रगाह बनाने वाले डिस्ट्रॉयर्स, जानें क्‍या है इंडियन नेवी का यह प्रोजेक्ट

INS मोरमुगाओ के रूप में भारतीय नौसेना को प्रोजेक्‍ट 15बी का दूसरा स्‍टील्‍थ-गाइडेड मिसाइल डिस्‍ट्रॉयर मिल गया है। 163 मीटर लंबे और 17 मीटर चौड़े INS मोरमुगाओ की अधिकतम रफ्तार 30 नॉट्स है। 7,400 टन वजनी आईएनएस मोरमुगाओ का करीब 75 प्रतिशत हिस्‍सा स्‍वदेशी है। प्रोजेक्‍ट 15बी के चारों जहाजों के नाम देश के चार कोनों में मौजूद शहरों के नाम पर रखे गए हैं। सभी को नेवी के ही वॉरशिप डिजाइन ब्‍यूरो ने डिजाइन किया है। समुद्र में दुश्‍मन की कब्रग्राह बनाने की क्षमता रखने वाले ये जहाज मझगांव डॉ‍क शि‍पबिल्‍डर्स लिमिटेड बना रही है। इन सभी में मीडियम-रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल्‍स, ब्रह्मोस सरफेस-टू-सरफेस मिसाइल्‍स, टॉरपीडो ट्यूब लॉन्‍चर्स, ऐंटी-सबमरीन रॉकेट लॉन्‍चर्स और सुपर रैपिड गन माउंट लगे हैं। प्रोजेक्‍ट 15बी के डिस्‍ट्रॉयर्स हिंद महासागर में भारतीय नौसेना की ताकत को कई गुना बढ़ाएंगे। आइए, प्रोजेक्‍ट 15बी के बारे में विस्‍तार से समझते हैं।

प्रोजेक्‍ट 15बी का इतिहास क्‍या है?
प्रोजेक्‍ट 15बी के तहत भारत वर्ल्‍ड क्‍लास मिसाइल डिस्‍ट्रॉयर्स तैयार कर रहा है। इनकी क्‍वालिटी अमेरिका और यूरोप के नामी शिपबिल्‍डर्स को टक्‍कर देती है।

सोवियत मूल के गाइडेड मिसाइल डिस्‍ट्रॉयर्स खरीदने के कुछ वक्‍त बाद नौसेना ने सोचा कि क्‍यों ना स्‍वदेशी डिजाइन तैयार किए जाएं। प्रोजेक्‍ट 15 डिस्‍ट्रॉयर्स इसी सोच का नतीजा हैं। उससे निकले जहाज- दिल्‍ली, मैसूर और मुंबई नौसेना के ‘फ्रंटलाइन जहाजों’ में से हैं। जल्‍द ही आगे की तैयारी शुरू कर दी गई। अगले प्रोजेक्‍ट का नाम रखा गया – प्रोजेक्‍ट 15ए। इसके तहत INS कोलकाता, INS कोच्चि और INS चेन्‍नै अस्तित्‍व में आए।

प्रोजेक्‍ट 15ए की खास बात यह रही कि प्रमुख रूसी सिस्‍टम्‍स को स्‍वदेशी सिस्‍टम्‍स से बदला गया। इन्‍हें कोलकाता क्‍लास डिस्‍ट्रॉयर्स भी कहा जाता है। प्रोजेक्‍ट 15बी नेवी के स्‍वदेशी डिस्‍ट्रॉयर्स तैयार करने की अगली कड़ी है। प्रोजेक्‍ट 15बी के तहत बने जहाज विशाखापट्नम क्‍लास में आते हैं। इस प्रोजेक्‍ट के हर जहाज को चार गैस टर्बाइंस से चलाया जाता है।

प्रोजेक्‍ट 15A और प्रोजेक्‍ट 15B में कितना फर्क है?
दोनों प्रोजेक्‍ट्स के तहत बनने वाले डिस्‍ट्रॉयर्स का हल डिजाइन एक जैसा है। विशाखापट्नम क्‍लास यानी प्रोजेक्‍ट 15बी के डिस्‍ट्रॉयर्स की प्रमुख तोप 127mm की है जबकि कोलकाता क्‍लास (प्रोजेक्‍ट 15ए) में 76mm की तोप लगी है। प्रोजेक्‍ट 15बी के डिस्‍ट्रॉयर्स का मास्‍ट बदला गया है। इनमें पूरा कंट्रोल सिस्‍टम लगा है जो क्रू को न्‍यूक्लियर, केमिकल या बायोलॉजिकल युद्ध की स्थिति में ज्‍यादा प्रोटेक्‍शन देगा। प्रोजेक्‍ट 15ए के मुकाबले 15बी के डिस्‍ट्रॉयर्स को डिटेक्‍ट कर पाना और मुश्किल है। नए डिस्‍ट्रॉयर्स का पेंट रडार अब्‍जॉर्बेंट हैं और इसके प्रोपेलर्स कम शोर करते हैं।

प्रोजेक्‍ट 15बी के तहत कितने डिस्‍ट्रॉयर्स बनने हैं?
प्रोजेक्‍ट 15बी के तहत MDL को चार डिस्‍ट्रॉयर्स बनाने थे। इनमें से INS विशाखापट्नम (यार्ड नंबर 12704) और INS मोरमुगाओ (यार्ड नंबर 12705) नौसेना के पास हैं। INS पारादीप और INS पोरबंदर पर काम चल रहा है। उम्‍मीद है कि 2024 तक बाकी दोनों भी नौसेना को मिल जाएंगे।

प्रोजेक्‍ट 15बी के मिसाइल डिस्‍ट्रॉयर्स में क्‍या खास है?
प्रोजेक्‍ट 15B के हर स्‍टील्‍थ डिस्‍ट्रॉयर की लंबाई 163 मीटर है, बीम 17.4 मीटर का है। ये डिस्‍ट्रॉयर अपने साथ दो मल्टिपल-रोल हेलिकॉप्‍टर्स कैरी कर सकते हैं। इनका डिजाइन ऐसा है कि ये आसानी से रडार की पकड़ में नहीं आते। इनमें स्‍टेट ऑफ द आर्ट वेपन सिस्‍टम्‍स और सेंसर्स लगे हैं। एक्‍सपर्ट्स के अनुसार, ये जहाज तकनीकी रूप से सबसे ऐडवांस्‍ड गाइडेड मिसाइल डिस्‍ट्रॉयर्स में शामिल हैं।

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