ममता ने लिखी स्क्रिप्ट, नीतीश ने निभाया रोल और रिलीज से पहले गठबंधन की फिल्म फ्लॉप

बीजेपी को हराने के लिए एक दूसरे के खिलाफ रहे दल भले ही साथ खड़े नजर आ रहे हों, लेकिन सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस और तमाम दलों के बीच रस्साकशी चल रही है. कई बैठकों के बाद भी सीट शेयरिंग को लेकर कोई बात नहीं बनी. इस बीच ममता बनर्जी का अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने के फैसले से कांग्रेस समेत इंडिया गठबंधन को बड़ा झटका दिया है. उधर नीतीश भी अलग होते नजर आ रहे हैं.

बीजेपी और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विजय रथ को रोकने के लिए इंडिया महागठबंधन बनाया गया था. जिसमें आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, टीएमसी, आरजेडी, जेडीयू, एनसीपी समेत कई पार्टियां शामिल थीं. इंडिया महागठबंधन को बनाने में बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का सबसे बड़ा और अहम रोल था. उन्होंने ही सभी क्षेत्रीय पार्टियों को इकट्ठा करने का जिम्मा उठाया और 2 जून 2023 को बिहार के पटना में इंडिया गठबंधन बनाया, 23 जून को इस गंठबनंधन की पहली रैली राजधानी पटना में हुई थी, देशभर में इस गठबंधन की चर्चा होने लगी.

हालांकि इस महागठबंधन में सीटों का बंटवारा एक बड़ा मुद्दा है. बीजेपी को हराने के लिए एक दूसरे के खिलाफ रहे दल भले ही साथ खड़े नजर आ रहे हों, लेकिन सीट शेयरिंग को लेकर कांग्रेस और तमाम दलों के बीच रस्साकशी चल रही है. कई बैठकों के बाद भी सीट शेयरिंग को लेकर कोई बात नहीं बनी. इस बीच ममता बनर्जी का अकेले लोकसभा चुनाव लड़ने के फैसले ने कांग्रेस समेत इंडिया गठबंधन को बड़ा झटका दिया है. उधर नीतीश भी अलग होते नजर आ रहे हैं.

ममता को नीतीश कुबूल नहीं!

नीतीश कुमार के मन में शुरू से ही प्रधानमंत्री बनने की चाहत रही है, इस बात से सभी वाकिफ हैं. नीतीश कुमार चाहते थे कि अगर वो इंडिया गठबंधन की तरफ से पीएम उम्मीदवार नहीं बनते है तो इंडिया गठबन्धन के चेयरपर्सन या संयोजक की भूमिका निभाएं. संयोजक की भूमिका तब जब कोई चेयरपर्सन न हो, यानी इंडिया गठबन्धन की तरफ से अघोषित पीएम उम्मीदवार नीतीश को संयोजक बनाने के लिए कांग्रेस भी तैयार थी. इसके लिए कांग्रेस ने 13 दूसरे दलों को भी मना लिया था, लेकिन ममता इसके लिए राजी नहीं थीं.

दिल्ली में जब इंडिया गठबंधन की बैठक हुई थी तब ममता ने दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के साथ मिलकर पीएम पद के लिए खरगे के नाम को आगे किया लेकिन खरगे और कांग्रेस ने दोनों ने ही इससे इनकार कर दिया. इसके बाद जब खरगे का नाम चेयरपर्सन के लिए तय किया गया तो भी कांग्रेस ने उससे भी इनकार कर दिया. क्योंकि उस सूरत में नीतीश संयोजक बनने को तैयार नहीं थे. दरअसल, ममता जातिगत जनगणना और ओबीसी आरक्षण के मुद्दे पर अपने विरोध के चलते नीतीश की अगुवाई बिल्कुल नहीं चाहतीं थीं. इसके बाद से ममता और नीतीश के मतभेद इंडिया गठबन्धन के लिए समस्या बन गए.

चुनाव से पहले गठबंधन के पक्ष में नहीं थीं ममता- सूत्र

उधर टीएमसी सूत्रों के मुताबिक ममता बनर्जी नहीं चाहती थीं कि लोकसभा चुनाव से पहले गठबंधन न किया जाए. ममता चाहती थी की जुबानी तौर पर सभी एक दूसरे को समर्थन देंगे. यानी सभी दल अपने अपने राज्यों में अकेले चुनाव लड़ें और सिर्फ मौखिक रूप से एक दूसरे दल को समर्थन करें. चुनाव के नतीजे आने के बाद ही 2024 में बनने वाली सरकार में जिसकी जितनी सीट होगी उसको उसी तरह का रोल दिया जाएगा. ममता चाहती थीं कि कांग्रेस 200 सीटों पर चुनाव लड़े और बाकी की सीटें क्षेत्रीय दलों के लिए छोड़ दे.

जैसे ही इस बात की भनक कांग्रेस को लगी तो उसने अपनी अलग से स्क्रिप्ट तैयार कर ली. कांग्रेस ने ज्यादा से ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने का मन बना लिया. लेकिन इसके लिए सहयोगी पार्टियां तैयार नहीं हुई. यूपी, बिहार, पश्चिम बंगाल, पंजाब में पार्टी ज्यादा सीटें मांग रही थी, जबकि दूसरी पार्टियां इसके लिए तैयार नहीं थी.

कांग्रेस के रवैये से अन्य दल नाराज

इस बीच कांग्रेस ने अपनी भारत जोड़ो न्याय यात्रा की प्लानिंग की. इसके लिए क्षेत्रीय दलों से बात करने के लिए कांग्रेस ने एक समिति का गठन किया, लेकिन यात्रा शुरू करने से पहले कांग्रेस के किसी नेता ने क्षेत्रीय दलों को पूरी तरह से भरोसा में नहीं लिया, सिर्फ एक पत्र के जरिए यात्रा के बारे में जानकारी दे दी. कांग्रेस के इस रवैये से नीतीश, ममता समेत तमाम दलों के नेता नाराज हो गए.

ममता ने किया गठबंधन से अलग होने का फैसला

बताया जा रहा है कि इसके बाद ही ममता बनर्जी ने सीएम नीतीश और केजरीवाल को साफ कर दिया था कि वो इंडिया गठबंधन के साथ मिलकर लोकसभा चुनाव नहीं लड़ेंगी. आगे नीतीश और केजरीवाल की जो मर्जी है वो अपना फैसला ले सकते हैं. इसके बाद ही पंजाब में आम आदमी पार्टी ने सभी सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला कर लिया.

गठबंधन को लेकर पशोपेश में नीतीश

आखिरकार इंडिया गठबंधन के धागे धीरे-धीरे खुलने लगे. जिससे नीतीश भी पशोपेश में पड़ गए. उन्हें लगने लगा कि न तो उनकी लिखी स्क्रिप्ट को माना जा रहा है न ही जिस इंडिया गठबंधन में उनका हीरो बनने का सपना पूरा हो रहा है. इसके बाद नीतीश ने एक बार फिर से पलटी मारने का मन बना लिया और उन्होंने इंडिया गठबंधन से खुद को अलग करने का दांव चल दिया.

नीतीश की दमदार स्क्रिप्ट हुई फ्लॉप

वैसे माना जा रहा था कि नीतीश कुमार ने जो स्क्रिप्ट लिखी थी वो वाकई में दमदार होती अगर कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल मिलकर इस स्क्रिप्ट के मुताबिक अपना रोल अदा करते. नीतीश की ये स्क्रिप्ट चुनावी मैदान में बीजेपी को तगड़ी टक्कर दे सकती थी जिससे 2024 में बीजेपी को झटका लगता.

नीतीश के साथ जाना बीजेपी की मजबूरी !

मजबूरी कहो या कुछ और नीतीश कुमार बीजेपी के लिए फायदेमंद हैं. इनको साथ लिए बिना बिहार में बीजेपी की नैया पार लगना मुश्किल है. इसी को देखते हुए पार्टी ने एक सर्वे कराने का फैसला किया. सूत्रों के अनुसार बीजेपी ने बिहार में एक सर्वे कराया जिसमें पता चला कि पार्टी कितनी अच्छी कोशिश कर ले सूबे में वो सिर्फ 20, 21 सीटें ही जीत सकेगी. लेकिन अगर नीतीश के साथ मिलकर चुनाव लड़ती है तो पार्टी को ज्यादा फायदा होगा. 2019 का चुनाव बीजेपी ने नीतीश के साथ मिलकर लड़ा था. इस चुनाव में बीजेपी और नीतीश के गठबंधन को 40 में से 39 सीटें मिली थीं.

सीटों को लेकर नहीं बन पा रही इंडिया गठबंधन में बात

इंडिया गठबंधन में सबसे बड़ा पेंच सीटों को लेकर ही फंस रहा था. पश्चिम बंगाल में कांग्रेस 10, 12 सीटों की मांग कर रही थी वहीं टीएमसी उसे महज 2 सीटें देने के लिए तैयार थी. इस बीच कांग्रेस नेता अधीर रंजन चौधरी लगातार ममता बनर्जी के ऊपर जुबानी हमले कर रहे थे. नतीजा गठबंधन से टीएमसी अलग हो गई. हालांकि अभी उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र में इंडिया गठबंधन सीट शेयरिंग के मुद्दे पर जिंदा है, लेकिन अखिलेश कांग्रेस के लिए सिर्फ दस-बारह सीट छोड़ने को तैयार है, वहीं महाराष्ट्र में उद्धव की शिवसेना 23 सीटों पर चुनाव लड़ने का दावा कर चुकी है. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि आने वाले समय में यहां भी कांग्रेस के लिए मुसीबत खड़ी हो सकती है.

बिहार के इन 2 हजार लोगों का धर्म क्या है? विश्व का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड कौन सा है? दंतेवाड़ा एक बार फिर नक्सली हमले से दहल उठा SATISH KAUSHIK PASSES AWAY: हंसाते हंसाते रुला गए सतीश, हृदयगति रुकने से हुआ निधन India beat new Zealand 3-0. भारत ने किया कीवियों का सूपड़ा साफ, बने नम्बर 1