पाकिस्तान एक तरफ अफगानिस्तान में शांति की बात करता है तो दूसरी ओर तालिबान के साथ खास संबंधों को खारिज करता है। हालांकि, अपनी असली मंशा वह जाहिर करने से रोक नहीं पाता। लंदन में अफगान NSA (राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार) पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ से क्या मिले, बौखलाई इमरान सरकार तालिबान की ही भाषा बोलने लगी। इससे सवाल उठने लगे हैं कि क्या पाकिस्तान तालिबान को अफगान सरकार के ऊपर मान्यता देने की राह पर चलने जा रहा है? लंदन में अफगान NSA हमदुल्लाह मोहिब ने पाकिस्तान मुस्लिम लीग (N) के संस्थापक और पूर्व PM नवाज शरीफ से मुलाकात की।
पाकिस्तान सरकार और हमदुल्लाह के बीच हफ्तों से चली आ रही तकरार जगजाहिर रही है। ऐसे में विपक्ष के नेता के साथ उनकी मुलाकात ने इमरान सरकार को परेशान कर दिया। मंत्रियों ने तो इसकी निंदा की है, पाकिस्तान के NSA मोईद यूसुफ ने तालिबान की भाषा में टिप्पणी कर डाली। मोईद ने ट्वीट किया, ‘अफगान NSA ने कड़वी और अस्वीकार्य भाषा का इस्तेमाल पाकिस्तान और हमारे लोगों के लिए किया है। UK में काबुल शासन के अधिकारियों की MNS (मोहम्मद नवाज शरीफ) से मुलाकात दोनों देशों के बीच माहौल में जहर घोलने की कोशिश है।’ दरअसल, अभी तक पाकिस्तान ‘अफगानिस्तान की सरकार’ टर्म का इस्तेमाल करती चली आई है जबकि ‘काबुल शासन’ तालिबान का रखा हुआ नाम है .