इस राज्य में देश भर से हज़ारों प्रवासी (Migrants) लौट रहे हैं इसलिए Covid-19 संक्रमण से बचने के लिए एक अलग अप्रोच Meghalaya अपना रहा है। मेघालय ने बीते 2 जून को एक आदेश जारी करते हुए साफ किया कि ‘राज्य में हर व्यक्ति को Corona Virus का एस्म्प्टिोमैटिक कैरियर या वाहक’ माना जाएगा। स्वास्थ्य विभाग ने कहा है कि यह डराने की नहीं बल्कि जीने के तरीके (Lifestyle) में बदलाव लाने की पहल है।
मेघालय ने कहा कि महामारी के चलते लोगों में जान या आजीविका संकट का डर है। ऐसे में राज्य के सामने संक्रमण को रोकने की भी चुनौती है। मनोविज्ञान में ‘लोकस ऑफ कंट्रोल’ का कॉंसेप्ट है, यानी स्थितियों पर नियंत्रण का विश्वास कर उसी के हिसाब से बर्ताव करना।
अगर आपको पता चले कि आप कोविड पॉज़िटिव हैं, आपका पूरा बर्ताव और मन बदलेगा। आप ज़्यादा सावधान अपने व्यवहार का लेकर ज़्यादा सतर्क होंगे। इससे कम्युनिटी ट्रांसमिशन के खतरे को कम करने में मदद मिलेगी। इसी आइडिया को कोविड (covid) के साथ जीने के लिए बर्ताव में बदलाव का मॉडल कहा गया है।
राज्य में सभी को यानी जो संक्रमित नहीं हैं, उन्हें ‘A’ श्रेणी का मरीज़ माना जाएगा और नियमित रूप से सभी की जांच की जाएगी। इस श्रेणी के लोगों को मास्क पहनना, हाथ धोने की आदत डालना और सोशल डिस्टेंसिंग (social distancing)का पालन करना अनिवार्य होगा। इस श्रेणी के लोगों को भी तीन वर्गों में बांटा गया है। पहले में, 65 साल या उससे ज़्यादा के लोग हैं, दूसरे में पहले से गंभीर रोगों से ग्रस्त और तीसरे में मोबाइल समूह यानी वो लोग जो लगातार आवागमन करते हैं।
स्वास्थ्य विभाग ने इन सभी के लिए ट्रेनिंग की व्यवस्था की है। ट्रेनिंग के बाद जो लोग सब सीख जाएंगे उन्हें सर्टिफिकेट दिया जाएगा। फिलहाल, ट्रेनरों को ट्रेनिंग देने की ट्रेनिंग दी जा रही है। अलग अलग सेक्टरों और कामकाजों के हिसाब से अलग अलग तौर तरीकों और कायदों की ट्रेनिंग दी जाएगी।
बुज़ुर्गों और पहले से रोगग्रस्त लोगों के लिए आशा और आंगनवाड़ी कार्यकर्ता घर घर जाकर सेल्फ हेल्प डायरी के प्रयोग के बारे में समझा रहे हैं। जिसमें स्टूडेंट्स भी शामिल हैं, उस मोबाइल समूह के लोगों को ट्रेनिंग के लिए मनोवैज्ञानिक तरीके अपनाए जाएंगे। इसमें उन्हें पहले यह विश्वास दिलाना कि वो वायरस के एसिम्प्टोमैटिक (asymptomatic) कैरियर हो सकते हैं इसलिए अपने हर एक्शन पर ध्यान दें। तीनों ही समूहों के लिए एक चेकलिस्ट का प्रयोग भी होगा, जिसमें रेटिंग सिस्टम के तहत हर व्यक्ति अपने एक्शनों के आधार पर खुद को जांच सकेगा।
मेघालय के स्वास्थ्य कमिश्नर और सचिव संपत कुमार के हवाले से रिपोर्ट कहती है कि चेकलिस्ट और सेल्फ हेल्प डायरियां खुद पर निगरानी रखने के साधन हैं। अस्ल में मकसद लोगों की सेहत और सावधानीपूर्ण आदतों को विकसित करना है। गांवों तक ग्राम प्रधान या मुखिया के स्तर पर मॉनिटरिंग की व्यवस्था की जा रही है। जब लोग रोज़मर्रा में बार बार किसी बदलाव के बारे में सोचेंगे, बात करेंगे और प्रैक्टिस करेंगे तो नतीजे बेहतर होंगे।
मेघालय सरकार सोशल रिवॉर्ड सिस्टम के बारे में भी विचार कर रही है। चेकलिस्ट के ज़रिए लोगों को रोज़ 10 में से कुछ पॉइंट्स मिलेंगे। जैसे हाथ धोए कि नहीं, बाहर से आने पर जूते चप्पल बाहर ही छोड़े कि नहीं, बाहर से आने पर नहाए कि नहीं जैसे सवालों के जवाब हां होंगे तो एक एक पॉइंट मिलेगा। सरकार का विचार है कि इन पॉइंट्स को शॉपिंग आदि में लाभ के लिए इस्तेमाल करने की योजना हो सकती है। हालांकि यह अभी केवल विचार स्तर पर ही है।