हाथरस गैंगरेप कांड को लेकर सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में सुनवाई हुई। कड़ी सुरक्षा के बीच पीड़िता का परिवार Hathras से लखनऊ पहुंचा। जहां दो जजों की बेंच के सामने अपना बयान और दर्द को बताया, इस दौरान उत्तर प्रदेश सरकार के वरिष्ठ पुलिस अफसर और अन्य अधिकारी मौजूद रहे। पीड़ित परिवार की ओर से पीड़िता के जबरन अंतिम संस्कार की बात को अदालत में रखा गया, जिसपर कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाया।
लखनऊ बेंच में सोमवार को जो सुनवाई हुई, उसमें सिर्फ केस से संबंधित लोग ही शामिल हुए। पीड़िता का परिवार और वो अधिकारी, जिन्हें कोर्ट ने समन किया था। पीड़िता के परिवार की वकील सीमा कुशवाहा ने अदालत की कार्यवाही खत्म होने के बाद मीडिया को जानकारी दी, उन्होंने ही बताया कि अदालत में क्या हुआ था।
अदालत ने प्रशासन पर सख्त रुख अख्तियार किया। एडीजी लॉ एंड ऑर्डर प्रशांत कुमार से पूछा कि अगर आपकी बेटी होती, तो क्या आप भी बिना देखे अंतिम संस्कार होने देते? जिसपर प्रशांत कुमार कोई जवाब ना दे सके।
अंतिम संस्कार के लिए परिवार की सहमति नहीं ली गई थी, ना ही उन्हें अंत्येष्टि में शामिल ही किया गया।
DM ने रात में अंतिम संस्कार के पीछे मौके पर जुटी भीड़ और कानून-व्यवस्था को वजह बताया। इसपर पीड़िता के परिजनों ने DM को टोका भी कि वहां भारी पुलिस बल तैनात था, फिर कानून-व्यवस्था कैसे बिगड़ती?
पीड़िता की भाभी ने कहा कि DM ने उन्हें कहा था कि अगर आपकी बेटी Corona से मरती तो मुआवजा नहीं मिलता। सुनवाई के दौरान जज ने अधिकारियों से कहा कि अगर किसी अमीर की बेटी होती तो क्या इसी तरह जला देते।
पीड़ित परिवार के वकील ने मीडिया से बताया कि एडीजी (लॉ एंड ऑर्डर) प्रशांत कुमार बोल रहे हैं कि एफएसएल की रिपोर्ट में सीमन नहीं आया है। ADG को लॉ की डेफिनेशन पढ़नी चाहिए। पीड़िता के परिजनों की वकील ने ADG को रेप की परिभाषा पढ़ने की सलाह दी और कहा कि मेरे पास सारी रिपोर्ट आ चुकी है।
लेकिन जब अदालत में सुनवाई के दौरान जज ने जब क्रॉस क्वेश्चन किए, तब प्रशासनिक अधिकारियों के पास कोई जवाब नहीं था।
अब इस मामले की सुनवाई 2 नवंबर को होनी है। 2 तारीख को ही पीड़ित परिवार के आरोपों पर बहस होगी और आगे की सुनवाई शुरू होगी।