भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को Hartalika Teej का पर्व मनाया जाता है। इस वर्ष ये पर्व 9 सितंबर यानी आज गुरुवार को मनाया जायेगा। इस दिन सुहागिनें अपने पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं और भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना करती हैं। कई जगहों पर ये व्रत सुयोग्य वर की प्राप्ति के लिए कुंवारी कन्याओं द्वारा भी किया जाता है। Hartalika Teej व्रत और पूजन में कुछ विशेष सामग्री की आवश्यकता होती है। जिनके बारे में आज हम आपको यहां बता रहे हैं।
हरतालिका तीज व्रत पूजन सामग्री
Hartalika Teej के व्रत व पूजन में आपको जिन चीजों की जरूरत होगी उनमें सिंदूर, चूड़ी, बिंदी, मेहंदी, काजल, वस्त्र, फूल, अबीर, वस्त्र, फल, कुमकुम, चंदन, घी-तेल, दीपक, कपूर, नारियल, माता की चुनरी, लकड़ी का पाटा, पीला कपड़ा, सुहाग पिटारा, तुलसी, केला का पत्ता, गीली काली मिट्टी या बालू, धतूरे का फल एवं फूल, बेलपत्र, आंक का फूल, मंजरी, पांच फल, मिठाई, शमी पत्र और जनेऊ शामिल हैं।
दान-दक्षिणा सामग्री
Hartalika Teej व्रत दान करने के लिए भी सुहाग का सामान भगवान शिव और माता पार्वती को अर्पित किया जाता है। इनमें बिछिया, पायल, कुमकुम, मेहंदी, सिंदूर, बिंदी, चूड़ी, माहौर, कंघी और कुमकुम जैसी चीजें शामिल की जा सकती हैं। पूजा सम्पन्न होने के बाद इस सामान को सुहागिन महिलाओं को दान किया जाता है।
इन बातों का भी रखें ध्यान-
Hartalika Teej पर पूजन तृतीया तिथि में गोधली और प्रदोष काल में ही करें और चतुर्थी में व्रत का पारण करें।
व्रत में 24 घंटे तक अन्न, जल, फल कुछ नहीं खाना होता है इसलिए व्रत का श्रद्धा पूर्वक पालन करें।
व्रत में सोएं नहीं बल्कि रात भर जागकर भगवान शिव एवं माता पारवती का स्मरण करें।
रात को भजन-कीर्तन, शिव चालीसा, शिव महापुराण का पाठ किया जा सकता है।
व्रती महिलाएं सोलह श्रृंगार करें और सुहाग का सामान सुहागिन महिलाओं को दान करें।
चतुर्थी तिथि में व्रत की पारण विधि के अनुसार ही व्रत का पारण करें।
पहले व्रत से जो नियम आप उठाएं उनका हमेशा पालन करें, अगर निर्जला व्रत रख रही हैं तो हमेशा निर्जला ही व्रत रखें।