क्या तुम बिहारी हो ? तुम बिहार के नहीं लगते ! बिहार से हो !! तुमसे तो बचके रहना होगा क्योंकि तुम बिहार से हो

सामान्य रूप से ऐसे वाक्य या तंज लगभग हर नॉन रेजिडेंट बिहारी, कोरोना काल के प्रवासी या सामान्य बिहार वासी जो बिहार से बाहर जाता है उसे ऐसा सुनने को मिलता है . अमात्य फाउंडेशन का ग्रैंड ट्रंक रोड इनिसिएटिव इसी मिथक या तंज को तोड़ने और एक साकारात्मक बिहार बनाने का मंच है . अपने दूसरे आयोजन में ही ये मंच बिहार और बिहारियत को लेकर एक सकारात्मक माहौल बनाने में सफल रहा है . कई सफल बिहारी ब्यवसायी , बरिष्ठ प्रसाशनिक अधिकारी , कलाकार इस परिचर्चा के हिस्सा बन रहे हैं और आज के बिहार की धारणा को और बेहतर बनाने को लेकर बिभिन्न पहलुओं पर अपने विचार दिए .

आज के स्टार्टअप और यूनिकॉर्न के समय में बिहार कई युवा आगे है और उनमे से ज्यादार ग्रैंड ट्रंक इनिसीएटीवे के हिस्सा बने . देहात के शशांक , टेक्स्ट बुक.कॉम के आशुतोष कुमार , बिहार के प्रसिद्ध बनाना मैन विकाश कुमार ,शार्क टैंक इंडिया के क्यूरेटर रवि रंजन आदि प्रमुख वक्ता रहे . इनके साथ बरिष्ठ ब्यवसायी एवं राजनेता आर के सिन्हा , बिहार सरकार के बरिष्ठ प्रशानिक अधिकारी एस सिद्धार्थ के साथ कई विश्वविद्यालय के वीसी और प्रोफेसर इसके हिस्सा बने . साथ ही बिहार के सोशल मीडिया सेंसेशन मगधी बॉयज के विश्वजीत और युगल ने अपने परफॉरमेंस से हसाया गुदगुदाया.

आयोजक अदिति नंदन के मुताबिक इस आयोजन का मकसद बिहार के बारे में धारणा बदलने के साथ साथ बिहार में स्टार्टअप , यूनिकॉर्न , मल्टी नेशनल और एक सवस्थ्य बिहार बनाने माहौल तैयार करना है .

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