COMPENSATION

केंद्र सरकार नहीं उठा सकती है राज्यों के लिए कर्ज- निर्मला

वस्तु एवं सेवा कर (GST) मुआवजे के विवाद को हल करने सोमवार को GST काउंसिल की बैठक हुई। बैठक के बाद केंद्रीय वित्त मंत्री Nirmala Sitharaman ने कहा कि जिस मुद्दे को लेकर ये बैठक हुई उसपर आम सहमति नहीं बन पाई।

दरअसल, Nirmala Sitharaman की अगुवाई में राज्यों के वित्त मंत्रियों वाली परिषद ने लगातार तीसरी बार GST राजस्व में कमी की क्षतिपूर्ति को लेकर चर्चा की। वित्त मंत्री ने कहा कि केंद्र ने राज्यों के सामने 2 प्रस्ताव रखे हैं। देश के 21 राज्य ऑप्शन-1 से सहमत हैं। जबकि बाकी राज्य केंद्र के प्रस्ताव से सहमत नहीं हैं। उन्होंने कहा कि 50 साल के लिए लोन सुविधा की सभी राज्यों ने तारीफ की।

केंद्र का प्रस्ताव गलत नहीं- वित्त मंत्री

निर्मला सीतारमण ने कहा कि केंद्र का प्रस्ताव कानून के दायरे में है। लेकिन अगर कुछ राज्यों को मंजूर नहीं है तो फिर आगे देखते हैं अब क्या समाधान निकलता है। केंद्र के प्रस्ताव का विरोध करने वाले राज्यों में दिल्ली, केरल, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु शामिल हैं।

बैठक में वित्त मंत्री ने कहा कि राज्यों के GST राजस्व में कमी की भरपाई के लिए केन्द्र सरकार बाजार से कर्ज नहीं उठा सकती है, क्योंकि इससे बाजार में कर्ज की लागत बढ़ सकती है। GST परिषद की बैठक के बाद वित्त मंत्री ने कहा कि राज्यों के GST राजस्व में आने वाली कमी की भरपाई के तौर तरीकों को लेकर आम सहमति नहीं बन पाई।


कोरोना संकट की वजह से ऐसी स्थिति
इससे पहले पांच अक्टूबर को GSTकाउंसिल की बैठक हुई थी। इस बैठक के बाद Nirmala Sitharaman ने कहा था कि हम राज्‍यों को मुआवजे की राशि से इनकार नहीं कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि Corona संकट की वजह से ऐसी स्थिति पैदा हुई है। ऐसी स्थिति की पहले किसी ने कल्पना नहीं की थी। मौजूदा हालात इस तरह का नहीं है कि केंद्र सरकार फंड पर कब्‍जा करके बैठी है, और देने से इनकार कर रही है. फंड उधार लेना होगा।

कम्पनसेशन सेस आगे भी जारी
वित्त मंत्री ने कहा कि लग्जरी और कई अन्य तरह की वस्तुओं पर लगने वाले कम्पनसेशन सेस को जून-2022 से भी आगे बढ़ाया जाएगा। यानी कार, सिगरेट जैसे प्रोडक्ट पर कम्पनसेशन सेस आगे भी लगता रहेगा, राज्यों को नुकसान से बचाने के लिए यह निर्णय लिया गया है। नियम के मुताबिक यह GST लागू होने के बाद सिर्फ 5 साल तक लगना था।

गौरतलब है कि राज्य करीब 2.35 लाख करोड़ रुपये का GSTका बकाया मुआवजा देने की केंद्र सरकार से मांग कर रहे हैं। इसके बदले में केंद्र ने उन्हें उधार लेने के दो विकल्प दिए हैं। लेकिन केंद्र की इस पेशकश को लेकर राज्य बंटे हुए हैं।

क्या है मुआवजे का गणित
राज्यों का करीब 2.35 लाख करोड़ रुपये का GST मुआवजा बकाया है, लेकिन केंद्र सरकार का गणित यह है ​कि इसमें से करीब 97,000 करोड़ रुपये का नुकसान ही GST लागू होने की वजह से है, बाकी करीब 1.38 लाख करोड़ रुपये का राजस्व नुकसान Corona महामारी और Lockdown की वजह से है।

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