सिजोफ्रेनिया बीमारी से पीडि़त वशिष्ठ बाबू फिलहाल अपने भाई अयोध्या सिंह के साथ राजधानी के अपार्टमेंट में रह रहे हैं। पर्व-त्योहार पर भोजपुर में अपने घर भी जाते हैं। इस दुर्गापूजा भी जाने वाले थे, मगर उनकी तबीयत खराब हो गई। देश-दुनिया में गणित के फॉर्मूले का लोहा मनवाने वाले ‘वैज्ञानिक जी’ की बीमारी आज वैज्ञानिकों के लिए चुनौती बनी हुई है। बरसों से इलाज हो रहा, मगर हालत जस की तस है।
भाई अयोध्या सिंह बताते हैं कि एक सप्ताह पूर्व अपार्टमेंट में चक्कर खाकर गिर पड़े। आनन-फानन पटना मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल (PMCH) में भर्ती कराया गया। एक सप्ताह तक भर्ती रहे, परंतु कोई मंत्री-विधायक मिलने नहीं पहुंचा। हल्ला जरूर उड़ता कि फलां मंत्री आ रहे हैं। सांसद आ रहे हैं। एक दिन अस्पताल में पूर्व सांसद पप्पू यादव मिलने आए थे। उनकी पत्नी और कांग्रेस सांसद रंजीता रंजन की पहल पर ही 2013 में वशिष्ठ नारायण सिंह को बीएन मंडल विश्वविद्यालय, मधेपुरा में विजिटिंग फैकल्टी नियुक्त किया गया था, मगर इसका लाभ नहीं मिल सका। जब पप्पू यादव को इस बारे में टोका तो वे कुछ सार्थक जवाब नहीं दे पाए।
PMCH में डॉक्टरों ने बताया कि सोडियम और पोटेशियम कम होने से वशिष्ठ बाबू को चक्कर आ गया था। कुछ जांच भी कराई गई, जिसमें एक किडनी पर दवाओं के अत्यधिक सेवन का असर पडऩे की बात डॉक्टरों ने कही। एमआरआइ जांच भी कराई गई इसमें सिर के अंदरूनी भाग में गांठ की तरह हल्की चोट का भी पता चला है। डॉक्टरों ने दवा दी है, अभी आराम है।
अयोध्या सिंह कहते हैं, वशिष्ठ बाबू का इतना नाम है। पटना विश्वविद्यालय से लेकर अमेरिका के बार्कले विश्वविद्यालय तक ख्याति बटोरे। IIT में पढ़ाया। गणित की थ्योरी को लेकर दुनिया भर में चर्चा में रहे मगर बिहार के लाल को यहां के लोग ही भूल चुके हैं। एक भी सम्मान नहीं मिला। बिहार रत्न तक देना जरूरी नहीं समझा। इस बार पद्मश्री के लिए कई संस्थाओं ने नाम प्रस्तावित किया है। जिंदा रहते सम्मान मिले तो अच्छा लगेगा।