आकाश मिसाइल प्रणाली भी सरकारी रक्षा कंपनियां की उपेक्षा का शिकार

देश की सेना और वायुसेना को पाकिस्तान और चीन की चुनौतियों को देखते हुए आकाश मिसाइल चाहिए, लेकिन भारतीय सेना और वायुसेना के सूत्रों का कहना है कि DRDO की ओर से विकसित की गई इस मिसाइल प्रणाली की आपूर्ति में भारत डायनामिक्स लिमिटेड (BDL) और भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड (BEL) जैसी सरकारी रक्षा कंपनियां गुणवत्तापूर्ण तरीके से जरूरत पूरी नहीं कर पा रही हैं। सेना और वायुसेना के लिए आकाश मिसाइल प्रणाली की समय परआपूर्ति और तैनाती एक चुनौती बनी हुई है।

आकाश मिसाइल प्रणाली देश की सामरिक और रणनीतिक मिसाइल के क्लब में शामिल है। यह दुश्मन की मिसाइल, लड़ाकू विमान समेत अन्य को 30 किमी दूर से ही हवा में ध्वस्त करने की क्षमता रखती है। अभी भारत के पास दुश्मन का वार रोकने, उसे हवा में ध्वस्त करने वाली यह इकलौती मिसाइल प्रणाली है। इसलिए इस मिसाइल प्रणाली को पाकिस्तान और चीन से लगते सीमा क्षेत्र में तैनाती की रणनीति बनाई गई है। माना जा रहा है कि रूस से S-400 मिसाइल सिस्टम आने के बाद आकाश और S-400 के तालमेल से भारतीय सैन्य बलों की सुरक्षा पंक्ति बहुत मजबूत हो जाएगी।आकाश प्रणाली की इस खासियत और पाकिस्तान, चीन के आक्रामक रुख को देखते हुए ही हाल में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति ने वायुसेना को भी अपने बेड़े में 7 स्क्वाड्रन आकाश मिसाइल प्रणाली तैनात करने की चुनौती दे दी है।
वायुसेना के सूत्रों का कहना है कि वायुसेना के बेड़े में मिसाइल प्रणाली को शामिल करने के लिए डेवलपमेंट से जुड़ी शुरुआती दिक्कतें दूर हो गई हैं। इस मिसाइल का निर्माण रक्षा मंत्रालय के अधीन आने वाली भारत डायनामिक्स लिमिटेड (BDL) करती है। वहीं भारत इलेक्ट्रानिक्स लिमिटेड आकाश मिसाइल के लिए रेडार प्रणाली समेत अन्य ट्रैकिंग और नेटवर्किंग सिस्टम तैयार करती है। सूत्र बताते हैं कि BDL में 500 से अधिक आकाश मिसाइल बनकर तैयार है, लेकिन किन्हीं कारणों से इसकी आपूर्ति का काम रुका हुआ है।

DRDO प्रमुख सतीश रेड्डी कुछ साल पहले रक्षा मंत्री मनोहर पार्रिकर के वैज्ञानिक सलाहकार थे। सतीश रेड्डी के सुझाव और प्रयास के बाद भारत डायनामिक्स लिमिटेड (BDL) ने सेना को प्रेशराइज्ड गैस कंटेनर में आकाश मिसाइल की आपूर्ति शुरू की। अब सेना चाहती है कि उसे इसी तरह के प्रेशराइज्ड गैस कंटेनर में आकाश मिसाइल की आपूर्ति की जाए। शुरुआत में BDL इन मिसाइलों की आपूर्ति पारंपरिक कंटेनरों में कर रही थी। सैन्य सूत्रों का कहना है कि प्रेशराइज्ड गैस कंटेनर में मिसाइल को रखे जाने के बाद जहां मिसाइल को सुरक्षित वातावरण मिल जाता है, वहीं उसकी लाइफ साइकिल भी बढ़ जाती है।

वायुसेना आकाश ट्रांसपोर्टेशन एंड लोडिंग वेहिकिल (TLV) को लेकर भी काफी संवेदनशील है। बताते हैं पिछले साल TLV एक एयरफोर्स स्क्वाड्रन पर थी और अचानक उसकी ट्यूब फटने से बड़ा झटका लगा। इसी तरह की चिंता सेना की भी है। सेना भी चाहती है TLV से लेकर पूरी प्रणाली की गुणवत्ता पर विशेष ध्यान दिया जाए। आकाश मिसाइल और इसके रख-रखाव को इस तरह से डिजाइन किया जाए कि उसे एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाने में समस्या कम से कम आए।

इस तरह के तमाम मुद्दों पर सेना, वायुसेना दोनों DRDL (डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट लेबोरेटरी) के साथ संवाद, रूटीन चेकअप चाहते हैं। इतना ही आकाश मिसाइल प्रणाली के लिए निजी कंपनियों की तरफ से आपूर्ति किए जाने उपकरणों, कल-पुर्जों, सामानों की गुणवत्ता को लेकर भी सैन्य बलों की शिकायत है।

Leave a Comment

Your email address will not be published.

बिहार के इन 2 हजार लोगों का धर्म क्या है? विश्व का सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड कौन सा है? दंतेवाड़ा एक बार फिर नक्सली हमले से दहल उठा SATISH KAUSHIK PASSES AWAY: हंसाते हंसाते रुला गए सतीश, हृदयगति रुकने से हुआ निधन India beat new Zealand 3-0. भारत ने किया कीवियों का सूपड़ा साफ, बने नम्बर 1