Ban On Rice Exports: रूस और यूक्रेन के बीच जारी युद्ध की वजह से दुनिया भर में खाद्य आपूर्ति प्रभावित हो रही है। विशेष रूप से गेहूं की आपूर्ति (Wheat Exports) पर इसका बहुत बुरा असर हुआ है। ऐसे में दुनिया भर की नजरें भारत की तरफ थीं। लेकिन देश में गेहूं की बढ़ रही कीमतों को देखते हुए सरकार ने पिछले दिनों इसके निर्यात पर रोक लगा दी थी। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के इस फैसले की आलोचना भी हुई थी। जिसके बाद भारत ने प्रतिबंधों में कुछ ढील देते हुए कहा था कि 13 मई से पहले जो भी गेहूं की खेप कस्टम विभाग को सौंप दी गई थी, या फिर उसका विवरण उनके सिस्टम में दर्ज कर लिया गया था, ऐसी गेहूं की खेपों को निर्यात करने की अनुमति दी जाएगी।
दूसरी ओर चीनी के दामों को नियंत्रित करने के लिए भी उसके निर्यात की मात्रा को सीमित कर दिया गया था। जिसके बाद कयास लगने लगे थे कि अगला नंबर चावल निर्यात पर रोक का हो सकता है क्यांकि इसकी कीमतों में भी तेजी देखी जा रही थी। लेकिन अब सरकार ने स्पष्ट कर दिया है कि उसकी चावल निर्यात पर किसी तरह का प्रतिबंध लगाने की कोई योजना नहीं है।
चावल के निर्यात को रेगुलेट करने के लिए नहीं उठाया गया कोई कदम
सरकार ने सोमवार को कहा कि उसका बासमती और गैर- बासमती चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगाने या उनके निर्यात को सीमित करने की कोई योजना नहीं है। इससे पहले सरकार ने गेहूं के निर्यात पर प्रतिबंध लगाया था और एहतियाती कदम के तौर पर चीनी विपणन वर्ष 2021-22 (अक्टूबर-सितंबर) में चीनी के निर्यात को 1 करोड़ टन तक सीमित कर दिया था। एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा, ‘किसी भी तरह के चावल के निर्यात को रेगुलेट करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया गया है। सरकारी गोदामों के साथ-साथ निजी व्यापारियों के पास भी पर्याप्त आपूर्ति है। घरेलू कीमतें भी नियंत्रण में हैं।’
चावल का दूसरा सबसे बड़ा उत्पादक है भारत
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार चीन के बाद भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा चावल उत्पादक (Rice Exports) देश है। भारत ने 2021-22 में 6.11 अरब डालर मूल्य का गैर बासमती चावल का निर्यात किया था। वर्ष 2020-21 में यह 4.8 अरब डालर था। देश ने 2021-22 में 150 से अधिक देशों को गैर-बासमती चावल का निर्यात किया था।