गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत- 7 महीने जेल में रहे डॉक्टर कफील खान को क्लीन चिट

गोरखपुर (Gorakhpur) स्थित बीआरडी मेडिकल कॉलेज (BRD Medical College) में लगभग दो साल पहले कथित रूप से ऑक्सीजन (Oxygen) की कमी के कारण बड़ी संख्या में जापानी इंसेफेलाइटिस (JE) और एवं एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (AES) के मरीज बच्चों की मौत हो गई थी. बच्चों की मौत के इस मामले में आरोपी डॉक्टर कफील अहमद खान को क्लीन चिट मिल गई है. मामले की जांच अधिकारी और स्टांप एवं निबंधन विभाग के प्रमुख सचिव हिमांशु कुमार की रिपोर्ट के मुताबिक डॉक्टर कफील के खिलाफ ऐसा कोई भी साक्ष्य नहीं पाया गया जो चिकित्सा में लापरवाही को साबित करता हो. मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य गणेश कुमार ने शुक्रवार को बताया कि डॉक्टर खान को जांच रिपोर्ट की एक प्रति गुरुवार को सौंप दी गई है. उल्लेखhealth नीय है कि डॉक्टर कफील इस मामले में लगभग सात महीने तक जेल में रहे. बाद में उन्हें अप्रैल 2018 में जमानत पर रिहा किया गया था.

डॉक्टर कफील ने नौकरी बहाली की मांग की

डॉक्टर कफील ने इसे अपनी जीत बताते हुए सरकार से मांग की है कि उन्हें नौकरी पर बहाल किया जाए और यह बताया जाए कि उस वक्त मेडिकल कॉलेज में इंसेफेलाइटिस से पीड़ित बच्चों की बड़ी संख्या में मौत का जिम्मेदार कौन है? पिछली 18 अप्रैल को जारी रिपोर्ट के मुताबिक कफील खान पर लगे तमाम आरोपों में चिकित्सा शिक्षा विभाग की दलीलें कमजोर और असंगत प्रतीत होती हैं. जांच रिपोर्ट के अनुसार हाल ही में एक आरटीआई आवेदन के जवाब में सरकार ने भी स्वीकार किया है कि 11/12 अगस्त 2017 को गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में 54 घंटे तक लिक्विड ऑक्सीजन की कमी थी और कफील ने वहां भर्ती बच्चों को बचाने के लिए वास्तव में जम्बो ऑक्सीजन सिलेंडरों की व्यवस्था की थी.

डॉ. कफील ने उपलब्ध कराए थे ऑक्सीजन के 7 सिलिंडर

रिपोर्ट के मुताबिक आरोप में डॉक्टर कफील को गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में 100 बेड के एईएस वार्ड का नोडल प्रभारी बताया गया था जबकि आरटीआई से प्राप्त अभिलेख के अनुसार उस वक्त बाल रोग विभाग के सह आचार्य डॉक्टर भूपेंद्र शर्मा, उस वार्ड के प्रभारी थे. रिपोर्ट के अनुसार डॉक्टर कफील पर घटना के बारे में उच्चाधिकारियों को न बताने के आरोप भी गलत हैं. कॉल डिटेल से पता चलता है कि उन्होंने विभिन्न अधिकारियों से इस बारे में बात की थी और अपने द्वारा उपलब्ध कराए गए ऑक्सीजन के सात सिलिंडर का दस्तावेजी सबूत भी पेश किया था.

घटना के समय छुट्टी पर थे डॉक्टर कफील

जांच रिपोर्ट में डॉक्टर कफील का हवाला देते हुए कहा गया है कि उन्होंने घटना के वक्त छुट्टी पर होने के बावजूद हालात को संभालने के लिए संबंधित अधिकारियों से संपर्क करने की भरसक कोशिश की थी. इनमें मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन प्रधानाचार्य डॉक्टर राजीव मिश्रा, उनकी पत्नी डॉक्टर पूर्णिमा शुक्ला और वरिष्ठ डॉक्टर सतीश चौबे भी शामिल हैं. कफील ने मेडिकल कॉलेज में चल रही स्थिति को सुधारने के लिए 10/11 अगस्त 2017 से 12 अगस्त के बीच कुल 26 लोगों को कॉल की थी. रिपोर्ट में कहा गया है कि चिकित्सा शिक्षा विभाग द्वारा कफील के खिलाफ पेश किए गए सबूत कमजोर और बेतुके हैं और ऐसे में कफील की दलीलें और जवाब स्वीकार करने योग्य हैं.

जांच रिपोर्ट में इन चार बातों का किया गया है उल्लेख

इस बीच, डॉक्टर कफील ने इसे अपनी जीत बताते हुए सरकार से मांग की है कि उन्हें नौकरी पर बहाल किया जाए. उन्होंने कहा, “जांच रिपोर्ट में चार बातों को स्वीकार किया गया है. पहली यह कि मेडिकल कॉलेज में घटना के वक्त आक्सीजन की कमी थी. उससे बच्चों की मौत हुई. मैं बच्चों को बचाने के लिए आक्सीजन के सिलिंडर लेकर आया और मुझ पर भ्रष्टाचार के सारे आरोप बेबुनियाद हैं. मगर, रिपोर्ट में यह नहीं कहा गया है कि आक्सीजन की आपूर्ति में कमी क्यों हुई? अगर मैं निर्दोष हूं, तो दोषी कौन है? आक्सीजन आपूर्तिकर्ता कम्पनी को किसने भुगतान नहीं किया, जिसकी वजह से आपूर्ति बाधित हुई. इतनी बड़ी संख्या में बच्चों की मौत का जिम्मेदार कौन है?”

योगी मेरी नौकरी बाइज्जत वापस करें

कफील ने कहा “मेरी गुजारिश है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ मेरी नौकरी बाइज्जत वापस करें और सार्वजनिक रूप से स्वीकार कर लें कि मेडिकल कॉलेज में आक्सीजन की आपूर्ति बाधित हुई थी. साथ ही मेडिकल कॉलेज में मारे गए बच्चों के परिवारवालों को सहायता राशि दी जाए.’ खान ने कहा कि मुख्यमंत्री ने कहा था कि घटना के वक्त मैं आक्सीजन के नहीं बल्कि वेल्डिंग में इस्तेमाल होने वाले सिलिंडर लेकर आया था जबकि प्रमुख सचिव अपनी जांच रिपोर्ट में कह रहे हैं कि मैं आक्सीजन के सिलिंडर लेकर आया था, अब दोनों में से किसने गलतबयानी की है?”

मेडिकल कॉलेज में हुई थी 39 बच्चों की मौत

गौरतलब है कि 10/11 अगस्त की रात को गोरखपुर स्थित बाबा राघव दास मेडिकल कॉलेज में कथित रूप से करीब 39 बच्चों की मौत हुई थी. इसके पीछे आक्सीजन की कमी को मुख्य कारण माना गया था. हालांकि सरकार ने इस आरोप को गलत बताया था और इस मामले में डॉक्टर कफील, मेडिकल कॉलेज के तत्कालीन प्रधानाचार्य डॉक्टर राजीव मिश्रा तथा उनकी पत्नी डॉक्टर पूर्णिमा शुक्ला समेत नौ आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया गया था.

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