अपने फोन पर आप जैसे ही गूगल असिस्टेंट (Google assistant) को शुरू करने के ‘ओके गूगल’ बोलते हैं, आपकी कही गई सारी बातें गूगल (Google) के कर्मचारी सुनते हैं. यही नहीं, कई बार ऐसा भी होता है कि जब यूजर्स वर्चुअल असिस्टेंट (virtual assistant) का इस्तेमाल नहीं करते हैं, लेकिन इस दौरान भी उनकी बातों को रिकॉर्ड किया जाता है. जी हां, यह जानकर आपको झटका लग सकता है, लेकिन यह बात गूगल ने खुद मानी है. डेटा प्राइवेसी और सिक्योरिटी से जुड़ी एक मीटिंग में गूगल की तरफ से बड़ी बात कही गई है.
इंफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी पर शशि थरूर की अध्यक्षता वाली संसद की स्थायी समिति में कंपनी ने खुद यह बात मानी है. इस रिपोर्ट पर गूगल ने कहा है कि ‘ओके गूगल’ करके जब गूगल असिस्टेंट से कुछ पूछा जाता है, या बात की जाती है, उस रिकॉर्डिंग को गूगल के कर्मचारी भी सुन सकते हैं. आपको बता दें कि यह जानकारी पहले से ही पब्लिक डोमेन में है और कंपनी ने कुछ साल पहले खुद ही यह बात कही थी.
2019 में गूगल प्रोडक्ट मैनेजर (सर्च) डेविड मोनसी ने एक ब्लॉग में भी इस बात को स्वीकारा था कि उनके भाषा एक्सपर्ट रिकॉर्डिंग को सुनते हैं, जिससे गूगल स्पीच सर्विस को ज्यादा बेहतर बनाया जा सके. गूगल की दलील यह होती है कि वह स्पीच रिकॉग्निशन को बेहतर करने के लिए बातचीत सुनता है. इसे लेकर अमेरिका में भी सांसदों ने गूगल से सवाल किया था और कुछ जगहों पर तो इसे लेकर मुकदमा भी दायर हो चुका है.
सूचना प्रौद्योगिकी पर शशि थरूर की अध्यक्षता वाली संसद की स्थायी समिति में मीटिंग में झारखंड से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे की तरफ से इससे जुड़ा सवाल गूगल से पूछा गया था. इसपर गूगल टीम ने माना कि कभी-कभी जब यूजर्स वर्चुअल असिसस्टेंट का इस्तेमाल नहीं भी करते, तब भी उनकी बातचीत को रिकॉर्ड किया जाता है. गूगल की तरफ से आगे सफाई दी गई कि संवेदनशील जानकारी को यहां नहीं सुना जाता, सिर्फ सामान्य बातचीत को रिकॉर्ड किया जाता है. हालांकि, गूगल ने यह साफ नहीं किया गया कि दोनों में वह फर्क कैसे करता है. ऐसे में अगली बार ओके गूगल बोलने से पहले सावधान रहें.