फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों (French President Emmanuel Macron) यूक्रेन संकट पर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) से वार्ता के लिए मास्को पहुंच गए हैं। इस वार्ता के परिणामों पर पूरी दुनिया की नजरें हैं। इस दौरान पुतिन का जोर यूक्रेन को नाटो (NATO) में शामिल न किए जाने के लिए मैक्रों को सहमत करना होगा। पूर्वी और मध्य यूरोप से नाटो की मिसाइलों को हटाने के लिए तैयार करना होगा जबकि मैक्रों की कोशिश यूक्रेन सीमा से रूसी सैन्य तैनाती कम कराने की होगी जिससे क्षेत्रीय तनाव कम हो। विदित को कि फ्रांस यूरोपीय यूनियन और नाटो का महत्वपूर्ण सदस्य देश है। साथ ही वह संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का स्थायी सदस्य भी है। मैक्रों मंगलवार को यूक्रेन जाएंगे।
बाइडन की मैक्रों को सतर्कता बरतने की सलाह
फ्रांसीसी राष्ट्रपति मैक्रों और रूसी राष्ट्रपति पुतिन (Vladimir Putin) की वार्ता से पहले अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने मैक्रों से फोन पर बात की है। उन्हें आगाह किया है कि पुतिन से वार्ता में विशेष सतर्कता बरती जाए। यूक्रेन को लेकर कोई ऐसा आश्वासन पुतिन को नहीं दिया जाए जिसका रूस फायदा उठा ले और क्षेत्र में नाटो की ताकत कमजोर हो। बाइडन ने कहा है कि रूस यूक्रेन की सीमाओं पर अपनी ताकत बढ़ाता जा रहा है, ऐसे में शांति की किसी पहल में शामिल होने की उससे उम्मीद करना अति आशावाद होगा।
आस्ट्रेलिया में क्वाड की बैठक
रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेन संकट के बीच आस्ट्रेलिया में 9 से 12 फरवरी के बीच क्वाड (क्वाड्रिलेट्रल सिक्युरिटी डायलाग) के विदेश मंत्री स्तर की बैठक होगी। आस्ट्रेलियाई विदेश मंत्री मैरिस पायने की मेजबानी में होने वाली इस बैठक में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर, अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन और जापान के विदेश मंत्री हायाशी योशीमासा भाग लेंगे। बैठक में हिंद-प्रशांत महासागर क्षेत्र में शांति और स्थिरता को बनाए रखने पर विचार किया जाएगा। बीते शुक्रवार को बीजिंग में हुई रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) और चीनी राष्ट्रपति शी चिनफिंग की मुलाकात में ताइवान का मुद्दा उठने के बाद इस बैठक को महत्वपूर्ण माना जा रहा है।