UP Election: 2017 की तुलना में चौथे चरण में 1% कम मतदान, जानिए BJP को फायदा या नुकसान?

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के चौथे चरण में 9 जिलों की 59 सीटों पर इस बार करीब 61.52 फीसदी वोट पड़े. इस चरण का चुनाव पूरा होने के बाद अब तक सूबे की 45 जिलों की 231 विधानसभा सीटों पर चुनाव हो चुका है. राज्य में बाकी तीन चरणों के लिए 27 फरवरी, 3 और 7 मार्च को मतदान होना है और वोटों की गिनती 10 मार्च को होगी. इस चरण में 59 सीटों पर 624 उम्मीदवार मैदान में हैं.

किस जिले में कितने फीसदी वोटिंग हुई?

पीलीभीत में 67.59 फीसदी
लखीमपुर खीरी में 66.32 फीसदी
सीतापुर में 62.66 फीसदी
हरदोई में 58.99 फीसदी
उन्नाव में 57.73 फीसदी
लखनऊ में 60.05 फीसदी
रायबरेली में 61.90 फीसदी
बांदा में 60.36 फीसदी
और फतेहपुर 60.07 फीसदी वोटिंग हुई.
2017 के विधानसभा चुनाव में इन सीटों पर 62.55 फीसदी मतदान हुआ था, जबकि 2019 के लोकसभा चुनावों में 60.03 फीसदी वोट पड़े थे. 2017 में हुए चुनाव में बीजेपी ने इन 59 में से 51 सीटों पर जीत हासिल की थी. एक सीट उसके सहयोगी अपना दल (एस) ने जीती थी. चार सीटों पर समाजवादी पार्टी ने जीत हासिल की, जबकि दो सीटों पर कांग्रेस और दो सीटों पर बसपा ने जीत हासिल की थी.

क्या इस चरण में बीजेपी को मिलेगा फायदा?

पिछले तीन चुनावों की आपस में तुलना करें तो जब-जब वोट प्रतिशत बढ़ा तो विपक्षी दलों को फायदा हुआ. लेकिन इस बार वोट प्रतिशत एक फीसदी घटा है. साल 2012 के विधानसभा चुनावों की बात करें तो तब आठ फीसदी वोटिंग ज्यादा हुई थी और समाजवादी पार्टी को 22 सीटों का फायदा हुआ था. इसी तरह साल 2017 के चुनाव में पांच फीसदी वोटिंग बढ़ने से बीजेपी को करीब 48 सीटों का बंपर फायदा पहुंचा. ऐसे में इस बार भी बीजेपी को फायदा मिल सकता है.

पिछले चार चुनावों में क्या रहा वोट प्रतिशत?

साल 2007- 49.05 फीसदी
साल 2012- 57.52 फीसदी
साल 2017- 62.55 फीसदी
साल 2022- 61.52 फीसदी
इस बार बीजेपी के लिए पिछले प्रदर्शन को दोहरा पाना एक बड़ी चुनौती है. इस चरण में लखीमपुर खीरी में भी मतदान हुआ है, जो किसान आंदोलन का केंद्र बिंदु बन गया है. खासकर 3 अक्टूबर की घटना के बाद, जब कथित तौर पर केंद्रीय मंत्री अजय मिश्रा टेनी के बेटे आशीष मिश्रा की एक एसयूवी ने चार किसानों को कुचल दिया था. आशीष मिश्रा हाल ही में पिछले हफ्ते जेल से जमानत पर छूटा है. इस घटना को लेकर विपक्ष लगातार बीजेपी पर निशाना साधता रहा है और मिश्रा की रिहाई ने आलोचना को और तेज कर दिया है. विपक्ष का कहना है कि जिले के लोगों को अक्टूबर की घटना अभी भी याद है.

यह चरण बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण

यह चरण बीजेपी के लिए महत्वपूर्ण है, जो अपनी 51 सीटों को बरकरार रखने की चुनौती का सामना कर रही है. पार्टी को तराई क्षेत्र में प्रतिरोध का सामना करना पड़ रहा है, जहां बीजेपी सांसद वरुण गांधी अपनी ही पार्टी के खिलाफ मुद्दों पर बोल रहे हैं. वरुण किसान बहुल निर्वाचन क्षेत्र पीलीभीत से सांसद हैं.

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