नवरात्रि के आठवें दिन महागौरी देवी की उपासना की जाती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन महागौरी की उपासना करने से व्यक्ति के धन-सम्पत्ति में वृद्धि होती है। महागौरी देवी का आठवां रूप हैं, महाअष्टमी के दिन इन्हीं की पूजा का विधान है, मां महागौरी परम कल्याणकारी हैं, ममता की मूरत हैं और अपने भक्तों की सभी मुरादों को पूरा करती है। मां महागौरी आर्थिक कष्ट दूर करती है, इसके अलावा महागौरी से मनचाहे विवाह का वरदान भी मिलता है।
मां महागौरी की पौराणिक कथा
भगवान शिव को पति रूप में प्राप्त करने के लिए मां ने कठोर तपस्या की थी। इस कारण उनका रंग काला हो गया साथ ही वो शारीरिक रूप से बहुत कमजोर हो गईं। शिवजी को प्रसन्न करने के बाद माता ने अपने स्वास्थ्य और स्वरूप को पुन: प्राप्त करने के लिए फिर से तपस्या की। इस तपस्या के बाद माता के शरीर से उनका श्याम वर्ण अलग हुआ और मां कौशिकी प्रकट हुईं। मां पार्वती गौरवर्ण हो गईं इसलिए इनका नाम महागौरी पड़ा। दरअसल, यह मां की लीला थी। राक्षस शुंभ और निशुंभ के वध के लिए देवी कौशिकी का अवतरित होना आवश्यक था इसलिए माता ने यह लीला रची। माता के इस स्वरूप को अन्नपूर्णा, ऐश्वर्य प्रदायिनी, चैतन्यमयी भी कहा जाता है। मां के इस रूप के पूजन से शारीरिक क्षमता विकसित होती है और मानसिक शांति बढ़ती है।
कैसा है मां का स्वरूप
महागौरी देवी को शिवा भी कहा जाता है, इस स्वरूप में मां नंदी पर सवार हैं। इनके एक हाथ में त्रिशूल, दूसरे में डमरू है। तीसरा हाथ अन्नपूर्णा और चौथा हाथ वर मुद्रा में है। मां श्वेत और मनभावन रूप में अपने भक्तों के कष्ट हरती हैं।
कैसे करें मातारानी की पूजा
महागौरी की पूजा में नारियल के साथ-साथ पूड़ी और सब्जी का भोग लगाया जाता है। हलवा और काले चने का प्रसाद बनाकर मां को विशेष रूप प्रिय है। इस दिन कन्याओं को भोजन कराया जाता है। मां महागौरी की पूजा करते समय गुलाबी रंग के कपड़े पहनने चाहिए। मां गौरी ग्रहस्थ आश्रम की देवी हैं, महाअष्ठमी के दिन दुर्गासप्तशती के मध्यम चरित्र का पाठ करने से व्यक्ति को विशेष फल की प्राप्ति होती है।