झारखंड के दुमका जिले में स्थित प्रसिद्ध तीर्थ स्थल बाबा बासुकीनाथ धाम में सावन की पहली सोमवारी धूमधाम से मनाई गयी. पवित्र गंगाजल लिए श्रद्धालु रात के 2 बजे से कतारबद्ध होकर बाबा बासुकी के मंदिर खुलने की प्रतीक्षा कर रहे थे. भक्तों की प्रतीक्षा रात्रि लगभग 3 बजे खत्म हुई और श्रद्धालु अर्घा के माध्यम से जलार्पण करने लगे. प्रशासन की तरफ से सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये थे.
वैसे तो सावन के महीने में रोजाना बाबा बासुकीनाथ के दरबार में लाखों की संख्या में श्रद्धालु महादेव के ज्योतिर्लिंग का जलाभिषेक करते हैं. मगर सावन की सोमवारी का अपना ही एक विशेष महत्व है. मान्यताओं के अनुसार सावन का महीना भगवान शिव को अतिप्रिय होता है, जिस वजह से इस माह के सोमवार का महत्व सबसे अधिक होता है. यही वजह है कि सावन की पहली सोमवारी को एक लाख से भी अधिक कांवरियों ने बाबा पर जलार्पण किया.
ऐसी भी मान्यता है कि समुद्र मंथन के बाद जो विष निकला उसे भगवान शिव ने अपने कंठ में समाहित कर सृष्टि की रक्षा की थी. विष के प्रभाव को कम करने के लिए सभी देवी- देवताओं ने उन्हें जल अर्पित किया ताकि उन्हें राहत मिले. कहा जाता है कि यही कारण है कि सावन में भगवान शिव पर जल चढ़ाया जाता है. वहीं बासुकीनाथ मंदिर का इतिहास भी सागर मंथन से जुड़ा हुआ है.
कहा जाता है कि सागर मंथन के दौरान पर्वत को मथने के लिए बासुकीनाग को माध्यम बनाया गया था. इन्हीं बासुकीनाग ने इस स्थान पर भगवान शिव की पूजा अर्चना की थी. और साक्षात महादेव का दर्शन पाया था. यही कारण है कि यहां विराजमान भगवान शिव को बासुकीनाथ कहा जाता है.
सावन की पहली सोमवारी पर दुमका उपायुक्त रविशंकर शुक्ला ने मेला क्षेत्र में घूम- घूम कर हर चीज का जायजा लिया. किसी भी श्रद्धालु को परेशानी ना हो इसको लेकर दुमका डीसी और एसपी देर रात से ही कांवरिया रुटलाइन का निरीक्षण कर रहे थे.