कांग्रेस के दिग्गज नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) प्रमुख मोहन भागवत के नागपुर में एकजुटता पर दिए एक बयान पर कटाक्ष किया है। उन्होंने कहा कि लिंचिंग और सांप्रदायिक घृणा उस दिन खत्म हो जाएगी जब RSS प्रमुख सद्भाव पर दिए अपने संदेश का पालन करना शुरू करेंगे।
उन्होंने कहा था कि सामाजिक हिंसा की कुछ घटनाओं की लिंचिंग के रूप में ब्रांडिंग करना हमारे देश, हिंदू समाज और कुछ समुदायों के बीच डर पैदा करना है। उन्होंने कहा कि इस तरह की घटनाओं में आरएसएस के सदस्य शामिल नहीं है बल्कि वे तो इसको रोकने की कोशिश करते हैं। पर इस सबको तरह- तरह से पेश करके उसे झगड़ा बनाने का काम चल रहा है। एक षड्यंत्र चल रहा है, यह सबको समझना चाहिए।
बता दें, भागवत ने कहा था कि हिंसा की ऐसी घटनायें सामाजिक संबंधों पर असर डालती हैं। यह हमारे देश की परंपरा नहीं है। संविधान में भी यह बात नहीं है। लिंचिंग शब्द कहां से आया ? एक समुदाय के धर्मग्रंथ में जिक्र है कि एक महिला को जब सभी पत्थर मारने लगें तो ईसा मसीह ने कहा कि पहला पत्थर वो मारे जो पापी न हो। हमारे यहां पर ऐसा कुछ नहीं हुआ। दूसरे देश