Delhi Vidhan Sabha Election 2025 के लिए एक चरण में सभी 70 सीटों पर 5 फरवरी को मतदान और वोटों की गिनती 8 फरवरी को होगी। इस बार का चुनाव त्रिकोणीय होने से खास है। बीजेपी 27 सालों का वनवास खत्म करने को ताकत झोंक रही है तो वहीं कांग्रेस अपनी सियासी जमीन वापस पाना चाहती है और आप सत्ता में वापसी को लेकर कोई कसर नहीं छोड़ रही है।
दिल्ली विधानसभा चुनाव-2025 (Delhi Vidhan Sabha Election 2025) की घोषणा हो गई है। भाजपा, आम आदमी पार्टी और कांग्रेस ने इसका स्वागत करते हुए जीत का दावा किया है। पिछले कई माह से सभी पार्टियां तैयारी भी कर रही थीं। अब चुनावी रण में उतरने का समय आ गया है। दिल्ली चुनाव (Delhi Chunav 2025) में मुख्य मुकाबला इन्हीं तीनों पार्टियों के बीच है।
इन सभी पार्टियों का अपना मजबूत पक्ष है, जिसके आधार पर वह जीत का दावा कर रही हैं। मजबूती के साथ पार्टियों के सामने कई चुनौतियां भी हैं। इनकी अपनी कमजोरी भी है। दिल्ली की सत्ता तक पहुंचने के लिए इन्हें अपनी कमजोरियों की पहचान कर उसे दूर करना होगा। पेश है NVR24 की रिपोर्ट:
आम आदमी पार्टी (Aam Aadmi Party)
मजबूत पक्ष
- दिल्ली सरकार की उपलब्धियों और मुफ्त बिजली, पानी और महिलाओं के लिए निश्शुल्क बस यात्रा को प्रचारित करने के साथ ही महिला सम्मान योजना, 60 वर्ष से अधिक उम्र के बुजुर्गों के निश्शुल्क उपचार के लिए संजीवनी योजना सहित अन्य लोकलुभावन घोषणाएं। इसके माध्यम से मतदाताओं को जोड़ने का प्रयास। पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल कई गारंटी की घोषणा कर चुके हैं।
- पार्टी के पास अरविंद केजरीवाल जैसा लोकप्रिय नेता है। भाजपा व कांग्रेस के कई अनुभवी व जनाधार वाले नेता आप में शामिल हुए हैं। इनमें से कई को टिकट दिया गया है। नगर निगम चुनाव में जीत से वार्ड स्तर पर कार्यकर्ताओं की टीम तैयार।
- झुग्गी बस्तियों, अनाधिकृत कॉलोनियों और मुस्लिमों के बीच पार्टी की मजबूत पकड़। महिलाओं के बीच भी पार्टी की अच्छी लोकप्रियता है।
कमजोर पक्ष
- आप सरकार पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगे हैं। पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल सहित कई नेता जेल जा चुके हैं। मुख्यमंत्री आवास विवाद से लेकर आबकारी घोटाले व भ्रष्टाचार के अन्य मामलों को विपक्ष प्रमुखता से उठा रहा है। पिछले 10 वर्षों से सत्ता में रहने के कारण कई स्थानों पर विधायकों व सरकार के प्रति नाराजगी ।
- चुनाव से पहले पार्टी के कई प्रमुख नेता पार्टी छोड़ चुके हैं। टिकट कटने से कई विधायकों व उनके कार्यकर्ताओं में नाराजगी से भीतरघात का डर।
- वायु प्रदूषण, दूषित पेयजल, यमुना की सफाई सहित अन्य समस्याओं को लेकर आप को विरोधी पार्टियां कटघरे में खड़ा कर रही हैं। दिल्ली सरकार से किए गए वादे पूरे नहीं करने का आरोप।
भारतीय जनता पार्टी (Bharatiya Janata Party)
मजबूत पक्ष
- दिल्ली में पार्टी का मजबूत संगठन है। बूथ स्तरीय कार्यकर्ताओं की टीम है। प्रत्येक बूथ पर तीन समर्पित कार्यकर्ताओं (त्रिदेव) की टीम काम कर रही है। दूसरे राज्यों के अनुभवी नेताओं को प्रत्येक विधानसभा में विस्तारक तैनात किया गया है।
- पार्टी पिछले कई माह से रणनीति तैयार कर काम कर रही है। सबसे ज्यादा जोर बूथ प्रबंधन पर है। झुग्गी बस्तियों व अनुसूचित जाति के बीच पिछले चार माह से कार्यकर्ता जनसंपर्क अभियान चला रहे है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी रैली कर चुके हैं।
- नरेंद्र मोदी सरकार की जनकल्याणकारी योजनाओं व दिल्ली के विकास में योगदान के प्रचार पर विशेष जोर। लाभार्थियों से संपर्क कर उन्हें अपने पक्ष में किया जा रहा है। कुछ दिनों पहले प्रधानमंत्री ने दिल्ली में 17 हजार करोड़ रुपये की परियोजनाओं का उद्घाटन व शिलान्यास किया है।
कमजोर पक्ष
- दिल्ली में पार्टी के पास मतदाताओं को आकर्षित करने के लिए अरविंद केजरीवाल जैसा कोई लोकप्रिय नेता नहीं है। इसे लेकर आप नेता भाजपा को घेर रहे हैं। उन्हें मुख्यमंत्री पद के दावेदार का नाम बताने की चुनौती दे रही है।
- भाजपा पिछले लगभग 26 वर्षों से दिल्ली की सत्ता से दूर है। अब नगर निगम की सत्ता भी इसके हाथ से निकल गई है। इससे कार्यकर्ताओं में निराशा का भाव है।
- पार्टी प्रत्याशियों की घोषणा में पिछड़ रही है। अभी तक सिर्फ 29 प्रत्याशियों की घोषणा हुई है। इसका असर चुनाव प्रचार पर भी पड़ रहा है।
- आप की तुलना में जमीन पर भाजपा का चुनाव प्रचार कम दिख रहा। प्रत्याशियों की घोषणा में देरी होने से गुटबाजी बढ़ने का भी खतरा।
कांग्रेस (Congress)
मजबूत पक्ष
- पार्टी के पास चुनाव प्रबंधन का लंबा अनुभव। लंबे समय तक पार्टी दिल्ली की सत्ता में रही है।
- पार्टी का मजबूत संगठन। ब्लाक स्तर तक पार्टी के पदाधिकारी तैनात हैं। केंद्र सरकार व दिल्ली सरकार की कई नीतियों के खिलाफ कार्यकर्ता मजबूती के साथ विरोध दर्ज कराते रहे हैं। इस बार पार्टी पहले की तुलना अधिक आक्रामक तरीके से चुनाव मैदान में है।
- मतदाताओं को दिखाने के लिए पूर्व मुख्यमंत्री शीला दीक्षित के कार्यकाल में दिल्ली में हुए विकास कार्य। पार्टी इसी आधार पर जनता से समर्थन मांगती रही है।
- कांग्रेस शासित राज्यों के लोकलुभावन निर्णयों को दिल्ली में भी लागू करने का वादा। महिलाओं को 2,500 रुपये और प्रत्येक नागरिक को 25 लाख स्वास्थ्य बीमा का वादा।
कमजोर पक्ष
- दिल्ली में पार्टी के पास कोई ऐसा लोकप्रिय नेता नहीं है जिसे आगे कर जनता को अपने साथ जोड़ा जा सके। पिछले कुछ माह में कई पुराने नेता पार्टी छोड़ चुके हैं। इससे पार्टी कमजोर हुई है।
- झुग्गी बस्ती और अनाधिकृत कॉलोनी में पार्टी का मजबूत वोट बैंक था। अब स्थिति बदल गई है। पार्टी का जनाधार लगातार गिर रहा है। पिछले दो विधानसभा चुनाव में पार्टी को एक भी सीट नसीब नहीं हुई है। इससे कार्यकर्ताओं में निराशा। उनमें उर्जा का संचार कर चुनाव प्रचार में लगाने की चुनौती। पुराने वोट बैंक को वापस पाने के लिए बनानी होगी विशेष रणनीति।
- टिकट वितरण में पुराने और समर्पित नेताओं व कार्यकर्ताओं की अनदेखी। इससे कई स्थानों पर असंतोष की स्थिति है।