अगर आप ये सोच रहे हैं कि चंद्रयान- 2 के लैंडर विक्रम और रोवर प्रज्ञान का इसरों से संपर्क टूटने के बाद सबकुछ खत्म हो चुका है…तो ऐसा बिल्कुल नहीं है…क्योंकि पिक्चर अभी बाकी है…और चंद्रयान-2 के इस पिक्चर को पूरा करने में लगा हुआ है ऑर्बिटर। 1 सितंबर को उनसे अलग हुआ ऑर्बिटर लगातार चंद्रमा के चक्कर लगा रहा है और वहां पानी और खनिज पदार्थ होने की संभावना को लेकर तमाम अहम जानकारियां जुटा रहा है। और सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि आठ पेलोड्स से सुसज्जित ऑर्बिटर की उम्र सात साल से ज्यादा है।
नासा के दिग्गज वैज्ञानिक जेरी लिनेगर ने जानकारी देते हुए कहा कि ,’चंद्रयान- 2 का ऑर्बिटर चांद को तीन आयामों से माप रहा है और उसकी सतह के अंदर भी खोज कर रहा है। हमें बहुत सारी जानकारियां मिलने की उम्मीद है। भविष्य में जो कोई भी चांद पर अपना स्टेशन बनाएगा उसे चंद्रयान- 2 के ऑर्बिटर से मिली जानकारियों से बड़ी सहायता मिलेगी।’ स्पेस शटल उड़ाने वाले लिनेगर ने 1997 में रूस के स्पेस स्टेशन मीर में पांच महीने बिताए थे।
2008 में चंद्रयान- 1 मिशन के प्रॉजेक्ट डायरेक्टर रहे और इसरो के रिटायर साइंटिस्ट एम अन्नादुरई ने कहा कि ऑर्बिटर वैसे बहुत काम कर सकता है जो लैंडर और रोवर नहीं कर सकते। उन्होंने बताया, ‘रोवर का रिसर्च एरिया 500 मीटर तक सीमित होता है जबकि ऑर्बिटर करीब 100 किमी की ऊंचाई से पूरे चंद्रमा का आंकलन करेगा। उसमें लगे आईआर स्पेक्टोमीटर, दो कैमरे और डुअल-बैंड सिंथेटिक अपर्चर रेडार कई महत्वपूर्ण काम कर सकते हैं।