हनुमान जी (Hanuman Ji) अपने भक्तों पर आने वाले तमाम तरह के कष्टों (Pains) और परेशानियों (Problems) को दूर करते हैं। ऐसी मान्यता है कि भगवान हनुमान (Lord Hanuman) बहुत जल्द प्रसन्न होने वाले देवता हैं। उनकी पूजा पाठ में ज्यादा कुछ करने की जरूरत नहीं होती। शायद यही वजह है कि आज के समय में हनुमान जी के भक्तों की संख्या भी बहुत अधिक हो गई है। हनुमान जी राम भक्त हैं और उनकी शरण में जाने मात्र से भक्तों के सभी संकट दूर हो जाते हैं। गोस्वामी तुलसीदास जी हनुमान चालीसा (Hanuman Chalisa) के रचयिता हैं। वह भी बहुत बड़े रामभक्त थे। मान्यता है कि वह श्रीराम (Shri Rama) से मिलना चाहते थे। उन्हें यह मालूम हो गया था कि हनुमान जी ही उन्हें राम जी से मिलवा सकते हैं, इसलिए उन्होंने हनुमान जी को प्रसन्न करने के लिए हनुमान चालीसा की रचना की। हिन्दू धर्म में हनुमान जी को अमर कहा गया है यानी वे आज भी जीवित हैं। मान्यता है कि आज भी वे भक्त की मुराद सुनकर उसके पास आते हैं और उसके कष्टों को दूर करते हैं। कलयुग में हनुमान जी को प्रसन्न करने और उनसे अपने मन की मुराद को पूरी करने का एकमात्र तरीका हनुमान चालीसा का पाठ बताया जाता है।
धार्मिक ग्रंथों से लेकर ज्योतिष शास्त्रों में भी हनुमान चालीसा को चमत्कारी माना गया है। कहते हैं कि हनुमान चालीसा के प्रतिदिन पाठ करने से अद्भुत लाभ होते हैं। हनुमान जी भगवान शिव के 11वें रूद्र अवतार हैं. शिव जी की तरह ही वह भक्त की छोटी सी कोशिश से बहुत प्रसन्न हो जाते हैं और वह कोशिश हनुमान चालीसा से हो सकती है।
धार्मिक ग्रंथों के अनुसार हर रोज हनुमान चालीसा पढ़ने का लाभ:-
-प्रतिदिन हनुमान चालीसा का पाठ करने से हनुमान जी भक्त के मन की मुराद पूरी करते हैं.
-यदि कोई आर्थिक संकट में हो तो रोजाना या फिर कम से कम मंगलवार और शनिवार को हनुमान चालीसा का पाठ करें. हनुमान जी प्रसन्न होकर आर्थिक संकट दूर करते हैं.
-जब भी रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ करने का प्रण करें, तो शुरुआत मंगलवार के दिन से ही करें. मंगलवार को हनुमान जी का दिन माना जाता है और इसदिन से हनुमान चालीसा का पाठ करने से उसे पूर्ण करने के लिए सफलता भी मिलती है.
-यदि आपको कोई अनजाना भय सताए या फिर शत्रुओं की ताकत बढ़ती हुई दिखाई दे तो रोजाना हनुमान चालीसा का पाठ जरूर करें. हनुमत कृपा से आपको बल की प्राप्ति होगी और जीवन का हर ऐसा संकट अपने आप ही दूर हो जाएगा.
-जिन लोगों को रात को सही से नींद नहीं आती, भयानक स्वप्न भी सताते हैं, उन्हें रात सोने से पहले हनुमान चालीसा का पाठ करना चाहिए. हनुमान जी की कृपा से भय दूर होगा और मन को शांति मिलेगी. कुछ ही दिनों में अच्छी नींद भी आने लगेगी.
-विद्यार्थी यदि हनुमान चालीसा का पाठ करते हैं तो उन्हें शिक्षा में सफलता पाने में मदद मिलती है. हनुमान चालीसा का पाठ मन और दिमाग को शांत करके एकाग्रता बढ़ाता है, जो कि हर विद्यार्थी के लिए बेहद जरूरी है.
दोहा :
श्रीगुरु चरन सरोज रज, निज मनु मुकुरु सुधारि।
बरनऊं रघुबर बिमल जसु, जो दायकु फल चारि।।
बुद्धिहीन तनु जानिके, सुमिरौं पवन-कुमार।
बल बुद्धि बिद्या देहु मोहिं, हरहु कलेस बिकार।।
चौपाई :
जय हनुमान ज्ञान गुन सागर।
जय कपीस तिहुं लोक उजागर।।
रामदूत अतुलित बल धामा।
अंजनि-पुत्र पवनसुत नामा।।
महाबीर बिक्रम बजरंगी।
कुमति निवार सुमति के संगी।।
कंचन बरन बिराज सुबेसा।
कानन कुंडल कुंचित केसा।।
हाथ बज्र औ ध्वजा बिराजै।
कांधे मूंज जनेऊ साजै।
संकर सुवन केसरीनंदन।
तेज प्रताप महा जग बन्दन।।
विद्यावान गुनी अति चातुर।
राम काज करिबे को आतुर।।
प्रभु चरित्र सुनिबे को रसिया।
राम लखन सीता मन बसिया।।
सूक्ष्म रूप धरि सियहिं दिखावा।
बिकट रूप धरि लंक जरावा।।
भीम रूप धरि असुर संहारे।
रामचंद्र के काज संवारे।।
लाय सजीवन लखन जियाये।
श्रीरघुबीर हरषि उर लाये।।
रघुपति कीन्ही बहुत बड़ाई।
तुम मम प्रिय भरतहि सम भाई।।
सहस बदन तुम्हरो जस गावैं।
अस कहि श्रीपति कंठ लगावैं।।
सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा।
नारद सारद सहित अहीसा।।
जम कुबेर दिगपाल जहां ते।
कबि कोबिद कहि सके कहां ते।।
तुम उपकार सुग्रीवहिं कीन्हा।
राम मिलाय राज पद दीन्हा।।
तुम्हरो मंत्र बिभीषन माना।
लंकेस्वर भए सब जग जाना।।
जुग सहस्र जोजन पर भानू।
लील्यो ताहि मधुर फल जानू।।
प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माहीं।
जलधि लांघि गये अचरज नाहीं।।
दुर्गम काज जगत के जेते।
सुगम अनुग्रह तुम्हरे तेते।।
राम दुआरे तुम रखवारे।
होत न आज्ञा बिनु पैसारे।।
सब सुख लहै तुम्हारी सरना।
तुम रक्षक काहू को डर ना।।
आपन तेज सम्हारो आपै।
तीनों लोक हांक तें कांपै।।
भूत पिसाच निकट नहिं आवै।
महाबीर जब नाम सुनावै।।
नासै रोग हरै सब पीरा।
जपत निरंतर हनुमत बीरा।।
संकट तें हनुमान छुड़ावै।
मन क्रम बचन ध्यान जो लावै।।
सब पर राम तपस्वी राजा।
तिन के काज सकल तुम साजा।
और मनोरथ जो कोई लावै।
सोइ अमित जीवन फल पावै।।
चारों जुग परताप तुम्हारा।
है परसिद्ध जगत उजियारा।।
साधु-संत के तुम रखवारे।
असुर निकंदन राम दुलारे।।
अष्ट सिद्धि नौ निधि के दाता।
अस बर दीन जानकी माता।।
राम रसायन तुम्हरे पासा।
सदा रहो रघुपति के दासा।।
तुम्हरे भजन राम को पावै।
जनम-जनम के दुख बिसरावै।।
अन्तकाल रघुबर पुर जाई।
जहां जन्म हरि-भक्त कहाई।।
और देवता चित्त न धरई।
हनुमत सेइ सर्ब सुख करई।।
संकट कटै मिटै सब पीरा।
जो सुमिरै हनुमत बलबीरा।।
जै जै जै हनुमान गोसाईं।
कृपा करहु गुरुदेव की नाईं।।
जो सत बार पाठ कर कोई।
छूटहि बंदि महा सुख होई।।
जो यह पढ़ै हनुमान चालीसा।
होय सिद्धि साखी गौरीसा।।
तुलसीदास सदा हरि चेरा।
कीजै नाथ हृदय मंह डेरा।।
दोहा
पवन तनय संकट हरन, मंगल मूरति रूप।
राम लखन सीता सहित, हृदय बसहु सुर भूप।।