कोरोना वायरस महामारी से दुनियाभर के 213 देशों में कहर बरपा रखा है। अब तक 4 लाख 31 हजार से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है। वहीं 78 लाख 40 हजार लोग कोरोना से संक्रमित हो चुके हैं। अब कोरोना वायरस घनी आबादी वाले विकासशील देशों में फैल रहा है। पूरी दुनिया में कोरोना वायरस को खत्म करने के लिए दवाओं और वैक्सीन पर प्रयोग चल रहा है लेकिन अबतक सफलता किसी को हाथ नहीं लगी है। हालांकि, वैक्सीन बनाने और इलाज खोजने के प्रयासों की बारीकी से समीक्षा की गई है जिसके आधार पर दुनियांभर के वैज्ञानिकों का कहना है कि अगले तीन महीने काफी अहम होंगे। बता दें इस संबंध में बहुत से वैज्ञानिक प्रयोग विदेशों में किए जा रहे हैं। भारतीय फार्मा कंपनियां इन प्रयासों के केंद्र में हैं। सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (SII) इस महीने की शुरुआत में फार्मा कंपनी एस्ट्राजेनेका के साथ ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन के निर्माण के लिए समझौता किया है, जिसमें 2020 के अंत तक 40 करोड़ खुराक मुहैया कराने की प्रतिबद्धता जताई गई है।
आपको बता दें विश्व स्वास्थ्य संगठन ने बीते 9 जून, तक COVID-19 की वैक्सीन के 136 प्रयोगों को चिन्हित किया है। इनमें से 10 प्रयोग मानव परीक्षण यानी human clinical trials के तीसरे चरण में पहुंच गए हैं। मानव शरीर पर COVID-19 की वैक्सीन के परीक्षणों के तीसरे चरण के परिणाम आने बाकी हैं। बता दें अमेरिका की फर्मा कंपनी ‘मॉडर्न’ ने पहले दो human clinical trials में सफलता हासिल की थी। अब जुलाई में 30,000 वालेंटियर्स पर तीसरे चरण का परीक्षण शुरू होने जा रहा है। अगर ये तीसरा ट्रायल भी सफल हो जाता है तो उम्मीद जताई जा रही है कि साल के अंत या 2021 की शुरूआत तक वैक्सीन आ जाएगी। अमेरिका के अलावा ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी की वैक्सीन का परीक्षण फिलहाल ह्यूमन ट्रायल के दूसरे और तीसरे चरण से गुजर रहा है। इस दिशा में भारत में स्वदेशी वैक्सीन बनाने के भी प्रयास चल रहे हैं, लेकिन वो अभी सैद्धांतिक अनुसंधान और प्री-क्लिीनिकल स्टेज में हैं।