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पांच दिन से एक ही बात… क्या राहुल गांधी ने पीएम मोदी के खिलाफ तय कर लिया 2024 का एजेंडा?

लोकसभा चुनाव में भले ही छह महीने बाकी हों, लेकिन सत्तापक्ष से लेकर विपक्ष तक सियासी बिसात बिछाने में जुट गई हैं. बीजेपी महिला आरक्षण बिल के जरिए आधी आबादी को साधने और विपक्षी रणनीति को ध्वस्त करने का दांव चला है. वहीं, विपक्ष बीजेपी को ओबीसी विरोधी का नैरेटिव सेट करने में जुट गया है. कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने पांच दिनों से सिर्फ एक ही बात हर मंच से कर रहे हैं वो महिला आरक्षण में ओबीसी आरक्षण न दिए जाने का. ऐसे में लगता है कि कांग्रेस ने बीजेपी और मोदी सरकार के खिलाफ सामाजिक न्याय और जातिगत जनगणना को सियासी हथियार बनाने की रणनीति तय कर ली है, जिसके चलते ही इस मुद्दे को धार देना शुरू कर दिया है?

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महिला आरक्षण बिल का कांग्रेस ने संसद में समर्थन किया, लेकिन ओबीसी समुदाय के लिए विधेयक में अलग से आरक्षण न फिक्स किए जाने का कांग्रेस ने मुद्दा बनाना शुरू कर दिया है. कांग्रेस ने अपने पुराने रुख से एकदम उलट महिला आरक्षण विधेयक में पिछड़ी जातियों की महिलाओं के लिए अलग से कोटा निर्धारित करने की मांग उठा दी है. इस तरह से कांग्रेस ने एक तरफ अपने सहयोगियों को सपा, आरजेडी, जेडीयू और डीएमके जैसे दलों के साथ सुर में सुर मिलाकर उन्हें साधे रखा तो दूसरी तरफ ओबीसी के मुद्दे पर बीजेपी को घेरने की रणनीति पर भी कदम बढ़ा दिया है.

कांग्रेस ने संसद से सड़क तक ओबीसी के मुद्दे को धार देने की और बीजेपी को ओबीसी विरोधी कठघरे में खड़ी करने की कोशिश तेज कर दी है. संसद में महिला आरक्षण बिल पर चर्चा के दौरान सोनिया गांधी, मल्लिकार्जुन खरगे, राहुल गांधी, अधीर रंजन चौधरी समेत सभी कांग्रेस नेताओं ने विधेयक में पिछड़ी जाति की महिलाओं के लिए कोटा तय करने की मांग उठाई. इतना ही नहीं राहुल गांधी ने तो अब इसे लेकर चुनावी रैलियों और दूसरे मंचों पर भी उठाना शुरू कर दिया है.

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राहुल ने संसद में 20 सितंबर को उठाया मुद्दा
राहुल गांधी ने लोकसभा में महिला आरक्षण मुद्दे पर चर्चा के दौरान कहा कि यह बिल अधूरा है, क्योंकि इसमें ओबीसी महिलाओं को शामिल नहीं किया गया है. मैं चाहता हूं कि इस बिल में ओबीसी आरक्षण को भी जोड़ा जाए. राहुल ने कहा था कि देश में दलित, आदिवासी, ओबीसी कितने है, इसका जवाब सिर्फ जातिगत जनगणना से मिल सकता है. विपक्षी जब भी ओबीसी के मुद्दे को उठाता है तो बीजेपी दूसरे मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश क्यों करती है ताकि ओबीसी समुदाय दूसरी तरफ देखने लगे.

राहुल ने 22 सितंबर को प्रेस कॉन्फ्रेंस किया
महिला आरक्षण बिल संसद के दोनों सदनों से पास होने के बाद कांग्रेस सांसद राहुल गांधी ने पार्टी कार्यालय में प्रेस कॉन्फ्रेंस करके ओबीसी के बारे में रोज बात करते हैं लेकिन पीएम मोदी ने ओबीसी को महिला आरक्षण में शामिल नहीं किया. कांग्रेस सत्ता में आने के बाद जातिगत जनगणना कराएगी. तब पता चलेगा कि देश में कितने ओबीसी, दलित और आदिवासी हैं.

राहुल ने 23 को जयपुर की रैली में उठाया मुद्दा
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जयपुर रैली में ओबीसी का मुद्दा उठाया था. उन्होंने कहा कि आज के हिंदुस्तान को विधायक और सांसद नहीं चलाते बल्कि पीएम के 90 सचिव चलाते हैं. अलग अलग मंत्रालयों में लगे हुए यह 90 सचिव ही फैसले लेते हैं. राहुल गांधी ने कहा कि प्रधानमंत्री बार बार ओबीसी की बात करते हैं लेकिन आपको यह जानकर हैरानी होगी कि आज के हिंदुस्तान को चलाने वाले इन 90 सचिवों में सिर्फ 3 लोग ओबीसी के हैं. साथ ही महिला आरक्षण में ओबीसी को न दिए जाने के लिए मोदी सरकार की अलोचना की और उन्होंने मेरी सरकार आने पर ओबीसी का हक मिलेगा और देश में जाति जनगणना भी कराएंगे.

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राहुल ने 24 सितंबर को फिर उठाई ओबीसी की बात
राहुल गांधी ने रविवार को दिल्ली के एक कार्यक्रम में एक बार फिर ओबीसी का मुद्दा उठाया और देश में समानता लाने के लिए जातीय जनगणना की भी वकालत की. राहुल गांधी ने कहा कि मैंने संसद में भारत सरकार की हकीकत बताई, जहां 90 सचिवों में से केवल तीन ओबीसी थे. अहम सवाल यह है कि भारत में ओबीसी, दलित, एससी और एसटी की आबादी कितनी है? जातीय जनगणना अब इस देश में समानता लाने का एक बुनियादी पहलू है और देश में महिला आरक्षण में ओबीसी महिलाओं को उनके हक दिए जाए.

राहुल ने 25 सितंबर को छत्तीसगढ़ में उठाया मुद्दा
राहुल गांधी ने छत्तीसगढ़ के बिलासपुर में ओबीसी का मुद्दा उठाया और ऐलान किया कि हमारी सरकार के आते ही जातिगत जनगणना कराई जाएगी. उन्होंने कहा कि मोदी सरकार में 90 सचिव हैं, जिसमें तीन ओबीसी है. पीएम मोदी जातिगत जनगणना नहीं कराना चाहते हैं जबकि जाति आधारित जनगणना से देश को फायदा होगा.

ओबीसी को कांग्रेस बना रही सियासी हथियार
कांग्रेस जिस तरह से ओबीसी के मुद्दे को सियासी धार देने में जुटी है, उससे एक बात साफ हो गई है कि 2024 में बीजेपी और मोदी सरकार के खिलाफ इसे अपना हथियार बनाने की रणनीति है. कांग्रेस ने संसद से सड़क तक ने जिस आक्रामकता के साथ पिछड़े वर्गों का कोटा तय करने, जातीय जनगणना कराने और विधेयक को फौरन लागू करने की मांग की उससे बीजेपी को ओबीसी विरोधी कठघरे में खड़े करने की कोशिश है.

इस तरह पिछड़े और अति पिछड़े वर्गों की महिलाओं की हिस्सेदारी का सवाल जोड़ कर मोदी सरकार के इस हथियार को जाति जनगणना के सामाजिक न्याय के अपने अस्त्र से कुंद करके हवा का रुख अपने पक्ष में मोड़ने की स्ट्रेटेजी मानी जा रही है. इस तरह 2024 के रण में मोदी सरकार के जेंडर जस्टिस बनाम राहुल गांधी कांग्रेस के सोशल जस्टिस के बीच होगा?

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