धरती नहीं अंतरिक्ष से दुश्मन पर बरसेगा चीन… आखिर क्या है नियर स्पेस कमांड, कैसे है दुनिया के लिए बड़ा खतरा?

अमेरिका को आंखें दिखाने वाले चीन ने नियर स्पेस कमांड तैयार कर लिया है, यह पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की एक नई शाखा होगी जो थल सेना, नौसेना, वायुसेना और रॉकेट फोर्स से अलग PLA की पांचवीं ताकत के तौर पर काम करेगी. यह अंतरिक्ष से धरती पर किसी भी टारगेट को तबाह करने में सक्षम होगी.

चीन अब दुनिया में किसी भी युद्ध की दशा और दिशा बदल सकता है. शी जिनपिंग की सेना ने इसके लिए खास तैयारी कर ली है. दुश्मन चाहे जितना ताकतवर हो. उसकी कमर तोड़ना अब चीन के लिए बाएं हाथ का खेल होगा. यह मुमकिन होगा नियर स्पेस कमांड से. PLA यानी पीपुल्स लिबरेशन आर्मी इस कमांड की मदद से सिर्फ धरती ही नहीं बल्कि स्पेस से भी हमला करेगी. यह हमला हाइपरसोनिक हथियारों से किया जाएगा जो पल भर में ही दुश्मन सेना और उसके ठिकानों को तबाह कर देगा.

अमेरिका को अक्सर आंखें दिखाने वाला चीन अपनी सेना को लगातार मजबूती देने में जुटा है. नियर स्पेस कमांड इसका अगला चरण है. हांगकांग के एससीएमपी अखबार की एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन का ये नियर स्पेस कमांड हाइपरसोनिक हथियारों से लैस है. रिपोर्ट में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि इस नियर स्पेस कमांड की स्थापना कब हुई, इसमें ये भी संभावना जताई गई है कि शायद चीन अभी इसे डेवलप कर रहा है.

क्या होता है नियर स्पेस कमांड

नियर स्पेस कमांड पीपुल्स लिबरेशन आर्मी की नई शाखा होगी. यह थल सेना, नौसेना, वायुसेना और रॉकेट फोर्स के अलावा PLA की पांचवीं ताकत के तौर पर काम करेगी. यह अंतरिक्ष से धरती पर किसी भी टारगेट को तबाह करने में सक्षम है. जो आसमान में तकरीबन 20 किमी ऊपर से लेकर 100 किमी दूर तक होने वाले सैन्य अभियानों के लिए जिम्मेदार होगी. अंतरिक्ष का यह वो क्षेत्र होता है जहां हवा की रफ्तार बहुत तेज होती है. इसीलिए सैन्य विमान वहां जाने से बचते हैं. यहां पर हाइपरसोनिक हथियार पांच गुना अधिक गति से काम कर सकते हैं और किसी भी एयर डिफेंस सिस्टम या रडार को धोखा दे सकते हैं.

युद्ध के समय कैसे काम करेगा कमांड सेंटर

नियर स्पेस कमांड का उद्देश्य हर युद्ध में चीन को जीत दिलाना होगा. इसके लिए वह सबसे पहले स्पेस से दुश्मन के रॉकेट लॉचिंग स्टेशनों को निशाना बनाएगी. इससे दुश्मन सेना चीन के उपग्रह नेटवर्क नष्ट नहीं कर पाएगी. हांगकांग अखबार से बातचीत करने वाले चीनी शोधकर्ताओं के मुताबिक यह संघर्ष के शुरुआती चरण में ही दुश्मन के बुनियादी ढांचे को इस कदर तोड़ देगी कि वह युद्ध में कुछ भी नहीं कर पाएगा. इससे लड़ाई की गति बदलेगी और युद्ध का अंत क्या होगा ये तय करने की ताकत चीन के पास होगी. इसके लिए यदि जैसे ही युद्ध शुरू होगा तो सबसे पहले चीन के हाइपरसोनिक हथियारों की कमांड नियर स्पेस कमांड के पास स्थानांतरित हो जाएगी. इन हथियारों को कब और कैसे लांच करना है यह कमांड ही तय करेगी.

तो क्या अब स्पेस वॉर होगा?

चीनी शोधकर्ताओं की मानें तो अब अंतरिक्ष ही अगला युद्ध क्षेत्र है, ऐसे में नियर स्पेस कमांड चीन की बड़ी ताकत बनेगा. इसे सुचारू कर चीन सीधे तोर अपने प्रतिस्पर्धियों से बढ़त विकसित करना चाहता है. पिछले माह ही चीनी कमान और नियंत्रण सम्मेलन में इसे लेकर एक रिसर्च पेपर भी प्रस्तुत किया गया था. इसमें भी ये साफ किया गया था कि चीन का नियर स्पेस कमांड हाइपरसोनिक मिसाइलों से लैस होगा.

…तो क्या चीनी गुब्बारा इसी का हिस्सा था?

इसी साल फरवरी में अलास्का से पूर्वी तट पर अमेरिका में एक चीनी गुब्बारा नजर आया था. इस गुब्बारे को अमेरिका ने मार गिराया था. इसके बाद दोनों देशों के बीच तनाव बढ़ गया था. माना जा रहा है कि नियर स्पेस कमांड में जासूसी ड्रोन और जासूसी गुब्बारे भी होंगे. कई बार विशेष अभियान चलाने के लिए इन उपकरणों को दूसरे देशों के आसमान में भी भेजा जाएगा. ऐसे में सवाल ये भी उठ रहे हैं कि क्या अमेरिका की सीमा में मिला चीनी गुब्बारा नियर स्पेस कमांड का एक अंग था. हालांकि चीन इससे साफ तौर पर इनकार करता रहा है, लेकिन अमेरिका इसे जासूसी गुब्बारा ही बताता रहा है.

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