दक्षिण चीन सागर में चीन की दादागिरी 2000 साल पहले हान साम्राज्य के ऐतिहासिक दस्तावेज पर आधारित हैं, जिसमें चीन की तरफ़ से इस बात का दावा किया जाता है कि हान साम्राज्य के दौरान पूरे दक्षिण चीन सागर पर चीन का अधिकार था. 9 डैश लाइन को चीन ने 1940 के चीन के मैप से एडॉप्ट किया था, जिसके तहत 90 फीसदी दक्षिण चीन सागर का हिस्सा आ जाता है. उससे पहले, 1947 में ये 11 डैश लाइन होता था जिसमें वियतनाम के साथ एक संधि के तहत 1952 में उसे 9 डैश लाईन में तब्दील कर दिया गया. चीन दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था और सैन्य ताक़त के तौर पर खुद को स्थापित करना चाहता है. इसके लिए चीन को अपनी इंडस्ट्री को चौबीसों घंटे चालू रखना रखना ज़रूरी है और उसके लिए चीन को ज़रूरी एनर्जी दक्षिण चीन सागर से मिलती है, जो कि इस वक्त खनिज, तेल और गैस से भरा हुआ है.
अमेरिकी के एनर्जी इन्फ़ॉर्मेशन एजेंसी ने अनुमान लगाया है कि इस वक्त दक्षिण चीन सागर में 190 ट्रिलियन क्यूबिक फ़ीट के नेचुरल गैस और 11 बिलियन बैरल के तेल का भंडार है. अमेरिका के जियोलॉजिकल सर्वे में ये भी जानकारी सामने आई थी कि दक्षिण चीन सागर में 160 ट्रिलियन क्यूबिक फ़ीट प्राकृतिक गैस और 12 बिलियन बैरल तेल भी हो सकता है जिसकी अभी तक खोज भी नहीं हुई है. और चीन के मुताबिक़ तो ये भंडार कहीं ज़्यादा हैं और इसी की लड़ाई है जो कि दक्षिण चीन सागर और उसके आसपास के देशों पर चीन की तरफ़ से जंग जैसे हालात बनाए हुए हैं. अगर हम चीन की खपत की बात करें तो पिछले चार दशक में चीन की खपत तीन गुना बढ़ गई है. 1980 से लेकर 2019 तक के तेल की खपत के आंकड़ों पर नज़र डालें तो, 1980 में 1197.26 हज़ार बैरल प्रति दिन की खपत थी, जो कि 2019 में बढ़कर 3192 हज़ार बैरल प्रतिदिन हो गई.
दक्षिण चीन सागर की लोकेशन की बात करें, तो यह चीन के दक्षिण , वियतनाम के पूर्व और दक्षिण, फ़िलीपीन्स के पश्चिम और बॉर्नियो आईलैड के उत्तर तक फैला है और इस दक्षिण चीन सागर से लगते देश हैं चीन , ताइवान, फ़िलीपींस, मलेशिया, ब्रुनेई, इंडोनेशिया, वियतनाम और सिंगापुर. चीन का इन सभी देशों के साथ विवाद है. हाल के कुछ सालों में चीन का विवाद मलेशिया और इंडोनेशिया के साथ उस वक्त बढ़ा जब चीन के कोस्ट गार्ड ने साउथ चाइना सी के विवादित हिस्से में बार-बार घुसबैठ की और साउथ चाईना सी में ऑयल रिंग के दावे पर चीन की इंडोनेशिया और मलेशिया के बीच ठन गई. ये हिस्सा मलेशिया के सबा और सरवाक के क़रीब है तो इंडोनेशिया के नाटुना द्वीप समूह के पास है जो कि चीन के 2009 में जारी किए गए 9 डैश लाइन के अंतर्गत आता है.
इंडोनेशिया और मलेशिया को चीन बार-बार इन इलाक़ों से अपने तेल की खोज करने और तेल निकालने से मना करता है, जबकि इन दोनों देशों की नौसेना ने चीन के घुसपैठ का जवाब देने की ठान रखी है. उन्होंने चीन के कोस्ट गार्ड जहाज़ को न सिर्फ उनके इलाक़े के समुद्र में आने से रोका, बल्कि उन्हें विवादित इलाक़ों से जाने को भी कहा. बहरहाल जिस तरह के हालात ताइवान और दक्षिम चीन सागर में पैदा हुए हैं, उसके पीछे की सबसे बड़ी वजह ही तेल और प्राकृतिक गैस का भंडार है. दरअसल चीन की 80 फ़ीसदी एनर्जी ट्रेड हिन्द महासागर और मलक्का स्ट्रेट से होत हुए जाता है… और अगर कभी जंग के हालात बनते हैं तो इस रूट को आसानी से बाधित किया जा सकता है और अगर ऐसा हुआ, तो चीन अलग-अलग तरीक़े से अपनी ऊर्जा ज़रूरतों को पूरा करना चाहेगा और उसी के चलते उसने पाकिस्तान में CPEC और दक्षिण चीन सागर के लिए दुनिया की नाक में दम कर रखा है.