सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना सेंट्रल विस्टा प्रोजेक्ट को हरी हरी झंडी दे दी है। जस्टिस एएम खानविल्कर की अध्यक्षता वाली 3 जजों की पीठ ने 2-1 के बहुमत से प्रोजेक्ट को मंजूरी दी। इसके साथ ही नए संसद भवन के निर्माण का रास्ता साफ हो गया है। कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए पेपरवर्क को सही ठहराया। साथ ही कहा कि जमीन का DDA की तरफ से लैंड यूज बदलना सही है। कोर्ट ने पर्यावरण मंत्रालय द्वारा दी गई सिफारिशों को बरकरार रखा और निर्माण के दौरान पर्यावरण का ध्यान रखने की बात कही। इसके अलावा निर्माण के दौरान स्मॉग टावर लगाने और निर्माण से पहले हेरिटेज कमिटी की भी मंजूरी लेने को कहा।
बता दें कि लुटियंस जोन में सेंट्रल विस्टा परियोजना के निर्माण को चुनौती देने वाली याचिकाओं में पर्यावरण मंजूरी समेत कई मुद्दों को उठाया गया था। इससे पहले, Supreme Court ने 7 दिसंबर को पिछली सुनवाई में नए संसद भवन के लिए आधारशिला रखने की अनुमति दी थी, लेकिन इसके साथ में यह भी निर्देश दिया था कि कोई निर्माण नहीं होगा। मामले में कोर्ट ने पिछले साल 5 नवंबर को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। इस पीठ में जस्टिस दिनेश महेश्वरी और संजीव खन्ना भी थे।
सरकार की ओर से भी आश्वासन दिया गया था कि लंबित याचिकाओं पर फैसला आने से पहले वहां पर निर्माण या विध्वंस का कोई कार्य नहीं होगा। इसके बाद PM नरेंद्र मोदी ने 10 दिसंबर को नए संसद भवन के निर्माण के लिए आधारशिला रखी थी और भूमि पूजन किया, जो 20 हजार करोड़ रुपये की सेंट्रल विस्टा परियोजना का एक हिस्सा है। बता दें कि सितंबर, 2019 में Central Vista Project की घोषणा की गई थी। इस परियोजना में संसद की नई त्रिकोणीय इमारत होगी, जिसमें एक साथ 900 से 1200 सांसद बैठ सकेंगे। इसका निर्माण 75वें स्वतंत्रता दिवस पर अगस्त, 2022 तक पूरा कर लिया जाएगा। इसमें केंद्रीय सचिवालय का निर्माण वर्ष 2024 तक करने की योजना है।