तलाक, तलाक, तलाक…और रिश्ता खत्म। इस सामाजिक बुराई के खिलाफ कानून बने आज 2 साल पूरे हो चुके हैं। कानून को पूरी तरह प्रभावी बताते हुए मोदी सरकार ने कहा है कि ट्रिपल तलाक के मामलों में 80% की कमी आ गई है और मुस्लिम महिलाओं को इसका फायदा हुआ है। वहीं, ऑल इंडिया मजलिस ए इत्तेहादुल मुस्लिमीन (AIMIM) के नेता असदुद्दीन ओवैसी ने कहा है कि मुसलमानों को यह कानून मंजूर नहीं है और इससे महिलाओं की मुसीबतों में इजाफा ही होगा।
राष्ट्रीय राजधानी में एक कार्यक्रम में अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी ने कहा, ”PM नरेंद्र मोदी ने अपनो वादों को पूरा किया। अयोध्या में राममंदिर का मुद्दा सुलझ गया। अनुच्छेद 370 को निष्प्रभावी करके जम्मू-कश्मीर के लोगों को फायदा पहुंचाया गया। मरहम कानून खत्म किया गया, जिससे 3500 मुस्लिम महिलाएं बिना मरहम के हज पर गईं।”
नकवी ने कहा कि ट्रिपल तलाक पर कानून प्रभावी (1 अगस्त 2019) होने के बाद ट्रिपल तलाक के 80% केस कम हो गए हैं। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश में इस कानून से पहले 63,000 केस दर्ज किए गए थे, लेकिन कानून लागू किए जाने के बाद इनकी संख्या गिरकर 221 रह गई। नकवी ने कहा कि बिहार में भी केवल 49 मामले सामने आए हैं।
AIMIM नेता असदुद्दीन ओवैसी ने एएनआई से बातचीत में कहा, ”यह कानून (ट्रिपल तलाक) असंवैधानिक है और सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी जा चुकी है। यह समानता के खिलाफ है और मुसलमानों को बुरा बताने वाला है। क्या मोदी सरकार केवल मुस्लिम महिला (अधिकार) दिवस मनाएगी? हिंदू, दलित और ओबीसी महिलाओं की सशक्तिकरण का क्या?” ओवैसी ने कहा कि इस कानून की वजह से मुस्लिम महिलाओं का और अधिक उत्पीड़न होगा और उनकी दिक्कतें बढ़ेंगी। केवल केस दर्ज किए जाएंगे, कोई न्याय नहीं होगा। जमीन पर मुसलमानों ने इसे स्वीकार नहीं किया है।