भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के तौर पर जेपी नड्डा की विधिवत ताजपोशी सोमवार को हो गई। इसी के साथ झारखंड में BJP के संगठन के नए सिरे से गठन की भी उल्टी गिनती शुरू हो गई है। झारखंड उन राज्यों में शुमार हैं, जहां BJP का संगठन अपना कार्यकाल पूरा कर चुका है। BJP के मुखिया होने के नाते जेपी नड्डा की सबसे बड़ी जिम्मेदारी उन राज्यों में संगठन के मजबूत ढांचे को खड़ा करना है, जहां कार्यकाल पूरा हो चुका है।
झारखंड में प्रदेश की वर्तमान इकाई का तीन साल का कार्यकाल पूरा हो चुका है। पूर्व अध्यक्ष ताला मरांडी के समय से लें, तो यह अवधि साढ़े 3 साल से अधिक की हो गई है। ताला मरांडी ने झारखंड के प्रदेश अध्यक्ष की कमान मई 2016 में संभाली थी। विवादों में घिरे तो लक्ष्मण गिलुवा को प्रदेश BJP की कमान दी गई। गिलुवा ने अपनी कार्यसमिति का गठन नौ नवंबर 2016 को किया था। इस लिहाज से देखा जाए तो भाजपा के वर्तमान संगठन का कार्यकाल पूरा हो चुका है।
झारखंड में विधानसभा चुनाव के कारण संगठन की चुनाव की प्रक्रिया लंबित रखी गई थी। चुनाव बीत गए और भाजपा सत्ता से बाहर भी हो गई। लक्ष्मण गिलुवा ने हार की जवाबदेही लेते हुए इस्तीफा भी दे दिया। उन्हें फौरी व्यवस्था के तहत फिलहाल पद पर बनाए रखा गया था। अब जब राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव हो गया है, तो प्रदेश की नई कार्यसमिति के गठन में अधिक विलंब नहीं किया जाएगा, यह तय है।
जेपी नड्डा झारखंड के प्रदेश संगठन की ताकत और कमजोरियां दोनों से बखूबी वाकिफ हैं। विधानसभा चुनाव के दौरान उन्होंने झारखंड में पूरा समय दिया। दर्जन भर जनसभाएं की, तो इससे कहीं अधिक बैठकें संगठन के स्तर पर की। चुनाव के दौरान ही नड्डा को प्रदेश संगठन के भीतर के असंतोष का अंदाज हो गया था। चुनाव के परिणाम ने इसे और स्पष्ट कर दिया है। ऐसे में प्रदेश संगठन के बागडोर वे किसके हाथों में सौंपेंगे, सभी की निगाहें इस पर लगी हैं। झारखंड में BJP को प्रदेश अध्यक्ष के साथ-साथ नेता प्रतिपक्ष का भी चुनाव करना है।
झारखंड में नेतृत्व संकट से जूझ रही BJP की निगाहें झाविमो प्रमुख बाबूलाल मरांडी पर भी लगी हुई हैं। चर्चा है कि बाबूलाल दिल्ली में नड्डा की उपस्थित में 30 जनवरी से पहले भाजपा BJP वापसी कर सकते हैं। उनकी वापसी के बाद उनकी और उनके दल के वरीय सदस्यों की BJP में क्या भूमिका होगी, यह तय होगा।