Lockdown शुरू होते ही बिहार के कामगार लोग अलग-अलग शहरों के रेलवे स्टेशन और बस अड्डों पर जमा होते देखे गए, क्योंकि इनके सामने दो वक्त की रोटी का संकट आ चुका था। काम-धंधा बंद होने की वजह से ये लोग अपने-अपने घर लौटने की कोशिश में थे। Lockdown को देखते हुए नीतीश कुमार की सरकार ने इनके लौटने का इंतजाम नहीं किया तो ज्यादातर लोग जैसे-तैसे अपने घर आ गए हैं।
अब जब Lockdown खुलने की बातें हो रही है तो पंजाब, तेलंगाना, महाराष्ट्र जैसे राज्यों के CM बिहार के CM और डिप्टी CM से अनुरोध कर रहे हैं कि बिहार लौटकर चले गए मजदूरों को आने दीजिए, क्योंकि इनके बिना दूसरे राज्यों के कारखाने और खेती-बाड़ी ठप हो जाएंगे। इस से यह तो जाहिर हो गया है कि इन दिहाड़ी मजदूरों के बिना किसी विकास की परिकल्पना ही नहीं की जा सकती है। वहीँ दूसरी तरफ, बिहार सरकार के पास यह आंकड़ा तक उपलब्ध नहीं है कि राज्य के कितने मजदूर बाहर काम कर रहे हैं।
बिहार के श्रम मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने बताया कि सरकार के पास इस तरह का कोई आंकड़ा मौजूद नहीं है। उन्होंने इसका कारण बताया कि जो भी मजदूर बाहर जाते हैं वे बिना किसी सूचना के काम की तलाश में दूसरे राज्य में निकल जाते हैं। जो जानकारी देते हैं उनका आंकड़ा तो बिहार सरकार के पास मौजूद है, लेकिन ज्यादातर मजदूर श्रम विभाग और सरकार के आग्रह के बावजूद बिना रजिस्ट्रेशन कराए और बिना सूचना दिए बिहार से बाहर चले जाते हैं। इस वजह से सरकार के पास बिहार के बाहर काम करने वाले मजदूरों का सही आंकड़ा नहीं है।
लेकिन इस विपदा की घड़ी में बिहार के बाहर जितने मजदूर काम कर रहे हैं उन्होंने श्रम मंत्रालय और अन्य विभाग से जो मदद की गुहार लगाई थी, अब उसके आधार पर डेटा तैयार करने की कोशिश की जा रही है। श्रम मंत्री ने बताया कि बिहार के अंदर काम करने वाले रजिस्टर्ड मजदूरों की संख्या करीब 19 लाख है। लेकिन बिहार के बाहर अन्य राज्यों में काम करने वाले मजदूरों का सही आंकड़ा मौजूद नहीं है। उन्होंने इसका कारण बताते हुए कहा कि जो भी मजदूर बाहर जाते हैं वे बिना किसी सूचना के काम की तलाश में दूसरे राज्य में निकल जाते हैं।
बिहार के श्रम मंत्री विजय कुमार सिन्हा ने नवभारत टाइम्स.कॉम से बात करते हुए कहा कि उनके मंत्रालय ने सभी जिलों के पदाधिकरियों को निर्देश दिया है कि अब प्रवासीय बिहारी मजदूरों के प्रशिक्षण का कार्य शुरू करें। ताकि बिहार से बाहर जाने वाले मजदूर प्रशिक्षित होकर जाएं और सरकार के पास उनकी पूरी जानकारी रहे कि वह किसा राज्य में किस स्थान पर काम कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इससे बिहार सरकार ना सिर्फ उन मजदूरों के दोहन को रोक सकेगी, बल्कि संकट के घड़ी में उन्हें मदद पहुंचाने का भी काम कर सकेगी।
श्रम विभाग के एक अधिकारी ने बताया की Coronavirus के संक्रमण की वजह से lockdown में फंसे मजदूरों में से अब करीब 9 लाख मजदूरों ने संपर्क साध कर मदद की मांग की है। उन्होंने यह भी बताया कि दिल्ली के करीब 1.25 लाख मजदूर, महाराष्ट्र के 1.5 लाख, हरियाणा गुजरात के 71-71 हजार, तेलंगना के 25 हजार, तामिलनाडु के 40 हजार से ऊपर और पंजाब के 50 हजार से अधिक की संख्या में मजदूरों ने संपर्क साधा है। उन्होंने बताया कि इसके अलावा भी देश के अन्य राज्यों में फंसे मजदूरों द्वारा फोन किये जा रहे हैं। अधिकारी ने बताया कि सभी का एक डेटा तैयार किया जा रहा है।
बिहार के CM ने कहा है कि दूसर राज्यों से समन्वय कर अब तक मुख्यमंत्री राहत कोष से आपदा प्रबंधन के माध्यम से मजदूरों को मदद पहुंचाई जा रही है। नीतीश कुमार ने कहा है कि मुख्यमंत्री विशेष सहायता के अंतगर्त 10 लाख 11 हजार लोगों के खातों में 1000 की राशि पहुंचाई गयी है। उन्होंने यह भी कहा कि आवेदन अभी भी मिल रहे हैं और सभी आवेदनों की जांच कर उनके खातों में भी राशि भेज दी जाएगी। मुख्यमंत्री ने जानकारी दी कि बिहार फाउंडेशन के माध्यम से 9 राज्यों के 12 शहर में में 50 राहत केंद्र चलाए जा रहे हैं, जिसमें 7 लाख 66 हजार 920 लोग लाभ उठा चुके हैं। बिहार के 94 लाख 85 हजार राशन धारियों के खाते में 1000 की राशि दी गयी है। शेष बचे हुए खाते में भी जल्द ही राशि भेज दी जाएगी।