उत्तर बिहार में बाढ़ का खतरा गहराता जा रहा है। यहां की 9 नदियां खतरे के निशान से ऊपर बह रहीं हैं। अधिकतर नदियों के साथ गंगा का पानी भी चढ़ने लगा है। बक्सर से लेकर भागलपुर तक गंगा के जलस्तर में धीरे-धीरे वृद्धि हो रही है। इससे नदी से सटे निचले इलाकाें में अलर्ट जारी कर दिया गया है। सहायक नदियों में उफान और गंगा में पानी भर जाने पर एक बड़े क्षेत्र में बाढ़ का खतरा गहरा सकता है। अगले 2 दिनों तक जल ग्रहण क्षेत्रों में भारी बारिश की आशंका के चलते जल संसाधन मंत्री संजय झा ने अपने इंजीनियरों को सतर्क रहने का निर्देश जारी किया है।
केंद्रीय जल आयोग की रिपोर्ट के मुताबिक उत्तर बिहार की 9 नदियों का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर है। बागमती मंगलवार तक 6 जगहों पर खतरनाक बनी हुई थी। हालांकि, बुधवार को कहीं-कहीं इसके पानी में कमी आई है। फिर भी सीतामढ़ी और मुजफ्फरपुर में खतरे के निशान से ऊपर है।
कोसी और गंडक का डिस्चार्ज कम हुआ है। फिर भी कोसी विकराल बनी हुई है। कई जगह यह लाल निशान से काफी ऊपर बह रही है। बराह क्षेत्र में कोसी का डिस्चार्ज 2 लाख घनसेक से घटकर सवा लाख घनसेक रह गया है, जबकि बराज के पास ढाई लाख से घटकर दो लाख घनसेक रह गया है। फिर भी सहरसा से भागलपुर तक कोसी 4 स्थानों पर अभी भी खतरनाक बनी हुई है। गंडक के डिस्चार्ज में भी गिरावट है।
गंगा की एक और सहायक नदी घाघरा सिवान में मात्र 19 सेमी ऊपर रह गई है। गंगा का पानी धीरे-धीरे चढ़ रहा है। हालांकि, अभी सभी जगहों पर यह खतरे के निशान से नीचे बह रही है। सीतामढ़ी में बागमती खतरे के निशान से ढाई मीटर और मुजफ्फरपुर में 87 सेमी ऊपर है।
उधर, जयनगर में कमला पस्त होती जा रही है। अब लाल निशान से सिर्फ पांच सेमी ऊपर रह गई है। हालांकि, झंझारपुर में अब भी यह पौने दो मीटर ऊपर है। अधवारा सीतामढ़ी के पुपरी में 81 और सुनुपर में 1.75 मीटर ऊपर है। दरभंगा में खिरोई 88 सेमी ऊपर है। महानंदा पूर्णिया में 79 सेमी ऊपर है लेकिन किशनगंज में अपनी सीमा में है।