बिहार का रण: चुनाव आयोग की गाइडलाइन ने सीधी कर दी सियासत की लाइन

चुनाव कराने या न कराने के मुद्दे पर बिहार की सियासत जो अभी तक बंटी हुई दिख रही थी, निर्वाचन आयोग की गाइडलाइन आते ही सभी दलों की तैयारी तेज हो गई है। कोरोना संक्रमण के चलते जो दल चुनाव के टालने के पक्ष में थे, वो भी लाइन पर आते दिख रहे हैं। किंतु-परंतु के साथ उन्हें चुनाव आयोग की गाइडलाइन मान्य हो गई है। सबसे ज्यादा राजद (RJD), लोजपा (LJP) और हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) ने विरोध किया था, लेकिन अब उन्हें भी कुछ असहमति तो है, किंतु चुनाव से परहेज भी नहीं।

RJD और कांग्रेस का कहना है कि कोरोना संक्रमण और बाढ़ के चलते चुनाव कराने के लिए यह सही वक्त नहीं है। फिर भी आयोग की गाइडलाइन के हिसाब से काम किया जाएगा। हालांकि RJD ने नई गाइडलाइन के कुछ बिंदुओं से असहमति जताते हुए कुछ नई अपेक्षाएं भी रखी हैं। मसलन चुनावी ड्यूटी में लगाए गए कर्मचारियों की तरह आम मतदाताओं को भी बीमित करने और बूथों पर संक्रमित हो जाने पर फ्री इलाज की व्यवस्था की मांग की है।

समय पर चुनाव कराने के पहले से पक्षधर JDU ने नई गाइडलाइन का स्वागत किया है। जदयू (JDU) के राष्ट्रीय प्रधान महासचिव केसी त्यागी ने कहा कि JDU ने आयोग को एक चरण में ही मतदान करा लेने का सुझाव दिया था। आखिर फिजिकल डिस्टेंसिंग के साथ सुरक्षित मतदान में किसी को कोई आपत्ति नहीं है। महागठबंधन (Grand Alliance) के सहयोगी राष्ट्रीय लोकसमता पार्टी (RLSP) के अध्यक्ष उपेंद्र कुशवाहा ने गाइडलाइन से सहमति जताई है और कहा है कि कोरोना है तो सियासत के तौर-तरीके और चुनाव प्रक्रिया में बदलाव तो पहले से तय था। आयोग को स्थानीय प्रशासन पर नियंत्रण रखना पड़ेगा, ताकि विपक्षी नेताओं के अन्याय नहीं हो। विकासशील इंसान पार्टी (VIP) के प्रमुख मुकेश सहनी को भी नई गाइडलाइन से कोई आपत्ति नहीं है।

सर्वदलीय बैठक में BJP ने जो अपेक्षाएं व्यक्त की थीं, आयोग ने उसे दरकिनार कर दिया। बिहार BJP के प्रदेश अध्यक्ष डॉ. संजय जायसवाल का कहना है कि उन्होंने खर्च की सीमा 28 लाख से बढ़ाने की मांग की थी। इसके बारे में गाइडलाइन में स्पष्ट नहीं किया गया है। प्रचार कार्य में लगने वाली गाडिय़ों की संख्या भी बढ़ाने की मांग की गई थी। 5 गाडिय़ों के काफिले से प्रचार संभव नहीं है। फिर भी आयोग की गाइडलाइन और आचार संहिता का अनुपालन करते हुए ही प्रचार किया जाएगा। जायसवाल ने कहा कि चुनाव के दौरान ही जनता के बीच जाने वाली हम पार्टी नहीं हैं। हमारा संपर्क निरंतर रहता है। संगठन आधारित पार्टी होने के कारण BJP पूरे वर्ष जमीनी स्तर पर काम करती रहती है। इसलिए हमें नई गाइडलाइन से कोई चिंता नहीं। किंतु जो वर्चुअल रैली (Virtual rally ) और ईवीएम (EVM) का विरोध कर रहे थे, वे चुनाव की संभावना देख कर अब छाती पर चढ़ कर सरकार बनाने की धमकी दे रहे हैं। लाठी में तेल पिलाकर बूथ लूटने वाले विरोध करके अपना असली चेहरा दिखा रहे हैं।

RJD की आपत्ति गाइडलाइन से नहीं, वक्त से है। अब उसने गाइडलाइन में कुछ जरूरी संशोधन के सुझाव भी दिए हैं। RJD प्रवक्ता चितरंजन गगन ने कहा कि बूथों पर मतदान के दौरान अगर कोई संक्रमित हो जाएगा तो इसकी जिम्मेवारी कौन लेगा। इलाज के खर्चे की व्यवस्था भी आयोग को कराना चाहिए। सबसे ज्यादा ऐतराज बूथों पर लगने वाली भीड़ से है। RJD प्रवक्ता ने कहा कि एक हजार वोटरों की संख्या वाले बूथों पर फिजिकल डिस्टेंसिंग संभव नहीं होगा। इसलिए आयोग को प्रत्येक ढाई सौ वोटरों पर बूथ बनाने चाहिए। RJD नेता ने कहा कि कर्मियों की तरह मतदाताओं के लिए भी बीमा की व्यवस्था होनी चाहिए। डोर टू डोर प्रचार के लिए पांच लोगों की अनुमति को नाकाफी बताया है। जबतक वोटरों से व्यापक संवाद-संपर्क नहीं होगा, तबतक दल के विचारों का प्रचार कैसे हो सकेगा। बिहार में अभी कोरोना का खतरा है। संक्रमण बढ़ रहा है। इसलिए हालात सामान्य होने के बाद ही चुनाव कराया जाना चाहिए। सभी दल BJP और JDU की तरह साधन संपन्न नहीं हैं। विपक्षी दलों के पास वर्चुअल तरीके से चुनाव-प्रचार करने की हैसियत और तैयारी नहीं है।

कांग्रेस को आयोग की गाइडलाइन सरकार के हिसाब से दिखती है। प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी सचिव अजय कपूर ने कहा कि आयोग ने विपक्ष से सलाह मांगी जरूर थी, लेकिन किया वही जो सरकार चाहती थी। लाशों के ढेर पर चुनाव कराना उचित नहीं है। किंतु आयोग भी उसी लाइन पर बढ़ता दिख रहा है। हालांकि उन्होंने कहा कि कांग्रेस को चुनाव से ऐतराज नहीं है। हमारे कार्यकर्ता तैयार हैं, किंतु बूथों पर सुरक्षित मतदान की व्यवस्था किए बिना खतरे से खेलना है। सिर्फ ग्लव्स और मास्क पहना देने से ही मतदाताओं की सुरक्षा नहीं हो जाएगी। कपूर ने कहा कि गली-गली में कोरोना का विस्तार हो गया है। आधा बिहार जलमग्न है। फिर भी सरकार को सिर्फ कुर्सी दिख रही है।

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