भागलपुर: कहलगांव अंतर्गत बटेश्वर स्थान स्थित श्मशान घाट के पास खतरनाक हो चुके स्नान घाट पर स्नान करने वालों के डूबने का सिलसिला जारी है. पिछले कुछ ही दिनों में बटेश्वर घाट पर सात और कहलगांव घाट पर दो की डूबने से जान जा चुकी है. दूसरी ओर जिला प्रशासन की उदासीनता का हाल यह है कि बार-बार के हादसे के बाद भी न तो सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किया जा रहा है और न ही लोगों को खतरनाक घाटों पर जाने से रोकने का कोई उपाय.
बैरिकेड लगाने की खानापूर्ति
काफी हो-हल्ला और फ्लोटिंग बैरिकेडिंग कराने की मांग उठने के बाद बाद दो दिन पहले लुंज-पुंज बांस-बल्ले-बत्ती से गंगा में बैरिकेड लगाने की खानापूर्ति भर कर दी गयी, जिसके अधिक समय तक टिकने की उम्मीद नहीं की जा सकती. एसडीएम के निर्देश के बाद भी गंगा तट पर चौकीदारों की अबतक तैनाती नहीं हो पायी है.
लोगों के सुझाव
स्थानीय लोगों का कहना है कि खतरनाक हो चुके घाट पर फ्लोटिंग बैरिकेड कराने के साथ चेतावनी बोर्ड लगाये जाने की आवश्यकता है. पर्व-त्यौहार के मौकों पर झारखंड और दूर-दराज से आने वाले श्रद्धालुओं को इन घाटों पर जाने से रोकने के लिए कम से कम सुबह से दोपहर तक चौकीदार की ड्यूटी अनिवार्य रूप से लगायी जानी चाहिए.
हाल के हादसे
बटेश्वर स्थित कुंड में कुछ दिन पहले पीरपैंती के तीन भाइयों की मौत हो गयी थी. इससे पहले इसी घाट पर फौजी और उसके दो भांजों की डूबने से मौत हो गयी थी. कहलगांव स्थित शांति धाम घाट पर दो मासूम बहनों की डूबने से जान चली गयी. इतने हादसों के बाद भी न तो नगर पंचायत और न ही अनुमंडल प्रशासन की नींद टूट रही है.