राम मंदिर: 500 साल पुराने मामले की पूरी ABCD सिर्फ 5 मिनट में जानें

रामभक्तों का 500 साल लंबा आज इंतजार खत्म हो रहा है. अयोध्या में राम मंदिर बनकर तैयार है. रामलला आज अपने महल में विराजेंगे. रामभक्तों को इसके लिए लंबी लड़ाई लड़नी पड़ी. इस मामले में कब क्या हुआ, आइए जानते हैं.

500 साल का इंतजार आज खत्म हो रहा है. अयोध्या के राम मंदिर में श्रीरामलला अपने महल में विराजेंगे. पूरे देश में उत्साह और आनंद का माहौल है. दुनिया के कोने-कोने में बसे भारतीय समुदाय के लोग श्रीरामलला के प्राण प्रतिष्ठा समारोह का जश्न मना रहे हैं. पूरी दुनिया में जश्न का माहौल है. कहीं रैली निकाली जा रही है, तो कहीं राम भजन गाए जा रहे हैं. कहीं, आरती-पूजा की जा रही है, तो कहीं जय श्रीराम के नारे लग रहे हैं.

राम मंदिर का मामला 500 साल पुराना है. इसकी शुरुआत कब हुई और कौन सी वो तारीख थी, जब सुप्रीम कोर्ट का फैसला आया, आइए जानते हैं.

  • अयोध्या में बाबरी मस्जिद स्थल पर धार्मिक हिंसा पहली बार 1853 में हुई थी. अवध के नवाब वाजिद शाह के शासन के तहत, निर्मोही (एक हिंदू संप्रदाय) ने दावा किया कि बाबर के युग के दौरान मस्जिद बनाने के लिए एक हिंदू मंदिर को ध्वस्त कर दिया गया था.
  • छह साल बाद, अंग्रेजों ने साइट को दो हिस्सों में बांटने के लिए बाड़ लगा दी. मुसलमानों को मस्जिद के भीतर प्रार्थना करने की अनुमति दी गई, जबकि बाहर के इलाके को हिंदुओं के इस्तेमाल के लिए नामित किया गया था.
  • जनवरी 1885 में महंत रघुबीर दास ने फैजाबाद जिला अदालत में एक याचिका दायर की, जिसमें मस्जिद के बाहर स्थित एक ऊंचे मंच रामचबूतरा पर एक छतरी के निर्माण की मंजूरी मांगी गई. हालांकि, याचिका खारिज कर दी गई.
  • 1949 में बाबरी मस्जिद के अंदर भगवान राम की मूर्ति सामने आई. गोपाल सिंह विशारद नामक व्यक्ति ने भगवान की पूजा करने के लिए फैजाबाद अदालत में याचिका दायर की. अयोध्या के निवासी हाशिम अंसारी ने अदालत का दरवाजा खटखटाया और कहा कि मूर्तियों को हटा दिया जाना चाहिए और इसे मस्जिद ही रहने दिया जाना चाहिए. सरकार ने उस स्थान पर ताला लगा दिया लेकिन पुजारियों को दैनिक पूजा करने की अनुमति दी गई.
  • 1961 में एक याचिकाकर्ता ने मुसलमानों को संपत्ति लौटाने की गुहार लगाते हुए मुकदमा दायर किया. सुन्नी सेंट्रल वक्फ बोर्ड ने बाबरी मस्जिद को बोर्ड की संपत्ति घोषित करते हुए फैजाबाद सिविल कोर्ट में मुकदमा दायर किया.
  • 1980 के दशक में राम मंदिर निर्माण के लिए अभियान चलाया गया. विश्व हिंदू परिषद पार्टी (वीएचपी) के नेतृत्व में एक समिति की स्थापना भगवान राम के जन्मस्थान को मुक्त करने और उनके सम्मान में एक मंदिर का निर्माण करने के उद्देश्य से की गई थी.
  • 1986 में अयोध्या को अदालत ने हिंदू पक्ष को राहत दी और मस्जिद में पूजा की इजाजत दी. हरिशंकर दुबे की याचिका पर, अयोध्या में जिला न्यायाधीश ने विवादित मस्जिद के दरवाजे खोलने का आदेश जारी किया, जिससे हिंदू वहां पूजा कर सकेंगे. इसके जवाब में मुसलमानों ने विरोध स्वरूप बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन किया.
  • कोर्ट के ऑर्डर के बाद राजीव गांधी के नेतृत्व वाली सरकार ने बाबरी मस्जिद के दरवाजे खोलने का आदेश दिया.
  • अदालत के फैसले से पहले केवल एक हिंदू पुजारी को ही वार्षिक पूजा आयोजित करने का अधिकार था. फैसले के बाद सभी हिंदुओं को साइट तक पहुंच की अनुमति दे दी गई.
  • 1989 में VHP ने बाबरी मस्जिद से सटी जमीन पर राम मंदिर का निर्माण शुरू किया. विहिप के पूर्व उपाध्यक्ष न्यायमूर्ति देवकी नंदन अग्रवाल ने मस्जिद के स्थानांतरण का अनुरोध करते हुए एक मामला दायर किया. इसके बाद फैजाबाद अदालत में लंबित चार मुकदमों को उच्च न्यायालय की एक विशेष पीठ में स्थानांतरित कर दिया गया.
  • 1990 में बीजेपी के तत्कालीन अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में पार्टी ने सोमनाथ से अयोध्या तक रथ यात्रा का आयोजन किया. इस रैली का प्राथमिक उद्देश्य राम मंदिर आंदोलन के लिए समर्थन व्यक्त करना था, जिसका नेतृत्व उस समय वीएचपी कर रही थी.
  • यात्रा में संघ परिवार से जुड़े हजारों कारसेवक, स्वयंसेवक शामिल थे. 25 सितंबर 1990 को गुजरात के सोमनाथ से शुरू होकर यह यात्रा कई गांवों और शहरों से गुजरी. प्रत्येक दिन लगभग 300 किलोमीटर की दूरी तय करते हुए यात्रा का नेतृत्व कर रहे लालकृष्ण आडवाणी ने अक्सर एक ही दिन में छह सार्वजनिक रैलियों को संबोधित किया.
  • 23 अक्टूबर 1990 को तत्कालीन प्रधानमंत्री वीपी सिंह ने बिहार के मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव को लालकृष्ण आडवाणी को गिरफ्तार करने का अधिकार दिया. तत्कालीन बीजेपी अध्यक्ष को एहतियातन हिरासत में ले लिया गया.
  • 6 दिसंबर 1992 को शिव सेना, वीएचपी और बीजेपी के नेताओं की मौजूदगी में कारसेवकों ने विवादित बाबरी मस्जिद को ध्वस्त कर दिया था. इसके बाद पूरे देश में बड़े पैमाने पर सांप्रदायिक दंगे भड़क उठे.
  • 2003 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) ने विवादित स्थल का सर्वेक्षण किया और मस्जिद के नीचे एक महत्वपूर्ण हिंदू परिसर के साक्ष्य की सूचना दी. हालांकि, मुस्लिम संगठन इसपर असहमत १
  • 2010 में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने इस विवाद से जुड़े चार टाइटल सूट पर अपना फैसला सुनाया. उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि विवादित भूमि को तीन भागों में विभाजित किया जाना चाहिए. एक तिहाई रामलला को आवंटित किया जाना चाहिए, जिसका प्रतिनिधित्व हिंदू महासभा द्वारा किया जाता है. इस्लामिक वक्फ बोर्ड को एक तिहाई और बाकी तीसरा निर्मोही अखाड़े को. इसके बाद दिसंबर में अखिल भारतीय हिंदू महासभा और सुन्नी वक्फ बोर्ड दोनों ने उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया.
  • तीनों पक्षों निर्मोही अखाड़ा, रामलला विराजमान और सुन्नी वक्फ बोर्ड ने इलाहाबाद उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ अपील की.
  • सुप्रीम कोर्ट ने विवादित स्थल को 3 हिस्सों में बांटने के HC के आदेश पर रोक लगा दी.
  • 9 नवंबर 2019 को सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की बेंच ने फैसला सुनाते हुए 2.77 एकड़ की विवादित जमीन को राम जन्मभूमि मंदिर के निर्माण के लि केंद्र सरकार द्वारा स्थापित किए जाने वाले ट्रस्ट को हस्तांतरित करने का आदेश दिया. इसके अलावा अदालत ने सरकार को मस्जिद के निर्माण के लिए सुन्नी वक्फ बोर्ड को एक अलग स्थान पर वैकल्पिक पांच एकड़ जमीन आवंटित करने का निर्देश दिया. आदेश जारी करने वाली पांच जजों की बेंच का नेतृत्व तत्कालीन मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई ने किया था. वह 17 नवंबर को फैसला सुनाने के ठीक आठ दिन बाद सेवानिवृत्त हो गए. पीठ के अन्य चार न्यायाधीश न्यायमूर्ति एसए बोबडे, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एस अब्दुल नजीर थे.
  • राम मंदिर निर्माण के लिए बनाए गए ट्रस्ट का नाम श्री राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र रखा गया है. इस ट्रस्ट में 15 सदस्य शामिल हैं.
  • 5 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने राम मंदिर निर्माण की आधारशिला रखी.
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