असम (Assam) की पहली ट्रांसजेंडर (transgender) जज स्वाति बिधान बरुआ ने नेशनल सिटीजन रजिस्टर (NRC) में थर्ड जेंडर (Thired gender) का विकल्प न होने को लेकर सुप्रीम कोर्ट (Supreme court) में याचिका दायर की। उन्होंने कहा कि ट्रांसजेंडरों को एनआरसी में शामिल करने के लिए पुरुष या महिला के विकल्प को चुनने को मजबूर किया गया। करीब 2000 किन्नर एनआरसी से बाहर हैं।
उन्होंने कहा कि अधिकांश किन्नरों को घर से बेघर कर दिया जाता है। इस कारण उनके पास कोई दस्तावेज नहीं होते। इनके पास भी 1971 से पहले के दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं। हमें उम्मीद है कि सुप्रीम कोर्ट हमारी इस याचिका पर जरूर कार्रवाई करेगी।
19 लाख से अधिक लोग एनआरसी से बाहर
एनआरसी की अंतिम लिस्ट 31 अगस्त को जारी की गई थी। एनआरसी के स्टेट कोऑर्डिनेटर प्रतीक हजेला के मुताबिक, अंतिम सूची में 19 लाख 6 हजार 657 लोग बाहर रखे गए थे। 3 करोड़ 11 लाख 21 हजार 4 लोगों को वैध करार दिया गया था। अगर कोई लिस्ट से सहमत नहीं है तो वह फॉरेनर्स ट्रिब्यूनल (Foreigners Tribunal) में अपील कर सकता है। अंतिम सूची में उन लोगों के नाम शामिल किए गए हैं, जो 25 मार्च 1971 से पहले असम के नागरिक हैं या उनके पूर्वज राज्य में रहते आए हैं।