अपने सरोद के सुरों से दुनिया भर के श्रोताओं को झुमा देने वाले सरोद वादक उस्ताद अमजद अली खां का आज जन्मदिन है। ग्वालियर में संगीत के ‘सेनिया बंगश’ घराने की छठी पीढ़ी में जन्म लेने वाले अमजद अली खां को संगीत विरासत में प्राप्त हुआ था। उनके पिता उस्ताद हाफिज अली खान ग्वालियर राज-दरबार में प्रतिष्ठित संगीतज्ञ थे।
उन्होंने महज 12 साल की उम्र में एकल सरोद-वादन का पहला सार्वजनिक प्रदर्शन किया था। एक छोटे से बालक की सरोद पर अनूठी लयकारी और तंत्रकारी सुन कर दिग्गज संगीतज्ञ दंग रह गए। अमजद अपने पिता के ही शिष्य थे, जिन्होंने सेनिया घराना सरोद वादन में परंपरागत तरीके से तकनीकी दक्षता हासिल की।
भारत और विदेश के इन व्यापक प्रदर्शनों को काफी न पाकर अमजद अली ने शास्त्रीय संगीत में अभिनव परिवर्तन के अलावा गायन एवं वाद्य संगीत की रचना की। ग्वालियर में जन्में अमजद अली खान ने भरतनाट्यम नृत्यांगना शुभालक्ष्मी के साथ शादी की। कहा जाता है कि एक बार नौकरी ना होने की वजह से उन्हें कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा और इस दौरान उन्हें बेघर होना पड़ा।
उन्होंने 1963 में 18 वर्ष की उम्र में पहली अमेरिका यात्रा की थी। इस यात्रा में पंडित बिरजू महाराज के नृत्य-दल की प्रस्तुति के साथ अमजद अली खां का सरोद-वादन भी हुआ था।
हिंदू डांसर से की शादी
अमजद अली खान और उनकी पत्नी शुभालक्ष्मी की शादी काफी चर्चा में रही और उनकी यह कहानी काफी दिलचस्प रही है। बताया जाता है कि अमजद अली खान को पहली बार शुभालक्ष्मी ने कोलकाता में 1974 में कला संगम कार्यक्रम में स्टेज परफॉर्मेंस करते हुए देखा था। कार्यक्रम के बाद दोनों की मुलाकात एक कॉमन फ्रेंड के घर हुई। उसके बाद उनकी बात आगे बढ़ी और शादी के लिए लंबे इंतजार के बाद साल 1976 में शादी की।
सम्मान और पुरस्कार
युवावस्था में ही उस्ताद अमजद अली खाँ ने सरोद-वादन में अन्तर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त कर ली थी। 1971 में उन्होंने द्वितीय एशियाई अन्तर्राष्ट्रीय संगीत-सम्मेलन में भाग लेकर ‘रोस्टम पुरस्कार’ प्राप्त किया था। यह सम्मेलन यूनेस्को की ओर से पेरिस में आयोजित किया गया था, जिसमें उन्होंने ‘आकाशवाणी’ के प्रतिनिधि के रूप में भाग लिया था। अमजद अली ने यह पुरस्कार मात्र 26 वर्ष की आयु में प्राप्त किया था। इसके अतिरिक्त उन्हें मिले पुरस्कार निम्नलिखित हैं-
यूनेस्को पुरस्कार
कला रत्न पुरस्कार
1975 में पद्मश्री
1989 में संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार
1989 तानसेन सम्मान
1991 में पद्म भूषण
2001 में पद्म विभूषण