Amit Shah On PoK: पीओके हमारा है- सारा का सारा है… अमित शाह का वो ऐलान, जिससे बिलबिला उठेगा पाकिस्तान

गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर से जुड़े दो बिल जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक पेश किए. इसके बाद जम्मू कश्मीर में कुल सीटों की सख्या 114 हो जाएगी. इसमें 24 सीटें पीओके के लिए आरक्षित की गई हैं.

POK पर अमित शाह ने एक बार फिर वो ऐलान कर दिया जिससे पाकिस्तान बुरी तरह बिलबिला जाएगा. गृहमंत्री अमित शाह ने जम्मू कश्मीर से जुड़े दो बिल पेश करते हुए एक बार फिर दोहराया कि PoK हमारा है और सारा का सारा है. उन्होंने बताया कि कैसे ये नया बिल कश्मीर और पीओके से विस्थापित हुए लोगों को न्याय दिलाएगा. हर प्रताड़ित कश्मीरी याद रखेगा कि पीएम मोदी ने उनके लिए क्या किया.

गृहमंत्री अमित शाह ने मंगलवार को जम्मू-कश्मीर से जुड़े दो बिल जम्मू-कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 पेश किए. यह दोनों ही बिल लोकसभा में पारित हो गए. अमित शाह ने बताया कि इन बिलों के पास कश्मीर में अब विधानसभा सीटों की संख्या 114 हो जाएगी. खास बात ये है कि इसमें 24 सीटें पीओके में रिजर्व की गई हैं. ये सीटें तब तक खाली रहेंगी जब तक पाकिस्तान का कब्जा रहेगा.

ये होगा सीटों का समीकरण

जम्मू और कश्मीर आरक्षण (संशोधन) विधेयक, 2023 और जम्मू और कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक, 2023 से अब जम्मू की 37 सीटें बढ़कर 43 हो जाएंगी. इसी तरह कश्मीर में सीटों की संख्या जो अब तक 46 थी वे बढकर 47 हो जाएंगी. शेष 24 सीटें पीओके में आरक्षित की गई हैं.

जम्मू कश्मीर की जो 90 सीटें तय की गई हैं, उनसे अलग तीन सीटें नामित विधायकों की भी होंगी, इस तरह इनकी संख्या बढ़कर 93 हो जाएगी. इसमें एससी और एसटी के लिए 16 सीटें रिजर्व की गई है. इनमें ST के लिए 9 और एससी के लिए 7 सीटें आरक्षित हैं.

कश्मीरी विस्थापितों के लिए विधानसभा में दो सीटें आरक्षित होंगी. इसके अलावा पीओके के विस्थापित के लिए भी एक सीट आरक्षित की जाएगी. कश्मीर में विस्थापित प्रवासियों को दी जाने वाली दो सीटों में से एक सीट एक महिला के लिए आरक्षित रखी जाएगी. इस सीट पर कश्मीर प्रवासी और विस्थापित नागरिक को उपराज्यपाल नामित करेंगे.

कश्मीर में पहले थीं 111 सीटें

जम्मू कश्मीर में राज्य विभाजन से पहले विधानसभा में 11 सीटें थीं, इसमें कश्मीर में 46 और जम्मू में 37, इसके अलावा चार सीटें लद्दाख और शेष 24 सीरों पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के लिए रिजर्व थीं. 2019 में अनुच्छेद 370 खत्म करने के साथ केंद्र सरकार ने जम्मू कश्मीर के विशेष दर्ज को खत्म कर दिया था. इसके बाद लद्दाख को अलग केंद्र शासित प्रदेश बनाए जाने के बाद यहां सीटें 107 रह गईं थीं.

2020 में कराया गया था परिसीमन

केंद्र सरकार ने 2020 में परिसीमन आयोग का गठन किया था. आयोग ने जम्मू के लिए छह सीटें बढ़ा दी थीं और कश्मीर घाटी में एक सीट बढ़ाई गई. अब यहां कुल सीटें 90 हो जाएंगी. इसके अलावा 24 सीटें पीओके लिए आरक्षित की गई हैं, जो तब तक खाली रहेंगी जब तक इस इलाके पर भारत का कब्जा नहीं हो जाता या वहां के लोग कश्मीर विधानसभा के लिए अपने प्रतिनिधि का चुनाव नहीं करते.

जवाहर लाल नेहरू का ब्लंडर है पीओके

केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बिल पर बहस के दौरान कांग्रेस पर जमकर हमला बोला और पीओके की समस्या को यूएन में भेजे जाने को पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू का ब्लंडर करार दिया. उन्होंने कहा कि जम्मू- कश्मीर को प्रधानमंत्री नेहरू द्वारा की गई दो भूलों के कारण नुकसान उठाना पड़ा है. पहला, युद्धविराम की घोषणा करना, और फिर कश्मीर मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में ले जाना. अगर जवाहरलाल नेहरू ने सही कदम उठाया होता, तो पाकिस्तान के कब्जे में कश्मीर अब भारत का हिस्सा होता. यह एक ऐतिहासिक भूल थी.

कांग्रेस ने किया हंगामा

कांग्रेस समेत विपक्षी दलों ने गृहमंत्री के नेहरू पर दिए बयान के बाद जोरदार हंगामा किया और वॉक आउट कर वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया. एनसी नेता फारूक अब्दुल्ला ने हालांकि बिल के विरोध में बहुत कुछ नहीं कहा लेकिन सूबे में चुनाव कराने की मांग करते रहे.

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