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ताप सूरज का बढ़ने दीजिए, मान अपना और अपनी पार्टी का बनाए रखिए अखिलेश

माहौल कल शाम से उस वक्त बन चुका था, जब अखिलेश यादव ने ओमप्रकाश राजभर के साथ प्रेस कॉन्फ़्रेन्स कर बनारस में EVM पर गड़बड़ी की ज़ोरदार तरीक़े से बात उठाई. धुवां कल उठ गया था और आग आज लग गई. और जब आग लगी है तो कुछ सेंकने वाले ना आएं, क्या भला ऐसा हो सकता है. तभी तो जहां एकतरफ़ यादव जैसे यूज़र अखिलेश को चढ़ा रहे थे तो वहीं ठाकुर नरेंद्र सिंह सिसौदिया जैसे कह रहे थे… एक दिन शेष, भागो अखिलेश.

दरअसल मंगलवार को प्रेस के सामने अखिलेश शासन-प्रशासन पर जमकर बरसे. उन्होंने कहा कि ये लोकतंत्र की आख़िरी लड़ाई है. मतलब अभी नहीं तो कभी नहीं वाला अंदाज़. बाक़ायदा उन्होंने युवाओं का आह्वान करते हुए कहा कि लोकतंत्र और भविष्य की सुरक्षा के लिए अब आप सबको आगे आना ही होगा. हालांकि कल थोड़ा चेहरे का रंग भी उड़ा हुआ था और झुंझलाहट भी साफ़ नज़र आ रही थी. हमेशा की तरह बीच-बीच में निशाना बन रहे थे तो बेचारे पत्रकार. हालांकि इनकी तरफ से यह पहला माजरा नहीं है, जो ये फंसे हों. इसके पहले भी बड़े-बड़े मंचों पर ये घेरे जाते रहे हैं. बुधवार को दोपहर दो बजकर पैंतालिस मिनट पर एक और तीर दागा गया, जिसमें कहा गया कि लिख रहा हूं ये सोचकर कि शायद जागेगा जमीर बेखबर से हो गए हैं न जाने क्‍यों कुछ खबरनवीस.

खैर, अखिलेश आए और बरसकर चलते बने. बरसने और गरजने का सारा ठीकरा एग्ज़िट पोल पर ही फोड़ें तो ज़्यादा मुफ़ीद रहेगा. शाइनिंग ग़ायब थी. बस नज़र आ रहे थे तो तेवर. वो भी खिसियाहट वाले. तभी तो वो यह भी कहने से गुरेज़ नहीं कर रहे थे कि जिसकी सरकार उसके अफ़सर. सरकार जो कहेगी, वो वही करेंगे. इसलिए इन पर नज़र रखना ज़रूरी है.

भले ही अखिलेश ने कल ये शिगूफा छोड़कर हल्ला मचा दिया हो कि अयोध्या और बनारस हम जीत रहे हैं, इसलिए बीजेपी बौखला गई है. पर एक्ज़िट पोल ने सपा को तो चलता ही कर दिया. एक तरफ़ जहां Tv9 Bharatvarsh/Polstrat के अनुसार, बीजेपी को यूपी में 211 से 225 सीटें तो वहीं इंडिया टुडे-Axis My India इसे 288 से 326 सीटें देकर रेस में अव्वल बना रहा है. अब कोई आगे होगा तो कोई ना कोई तो उसके पीछे रहेगा ही. मंगलवार को अखिलेश के हाव भाव एकदम साफ़ ये कह रहे थे कि इस बार का झटका बर्दाश्त के लायक़ नहीं होगा. तभी तो रियल में ढंग मंगलवार को ही उन्होंने दिखा दिए और रील यानी वर्चुअली में रंग बुधवार को. नतीजों के पहले बुधवार को दोपहर ढाई बजे तक तक़रीबन सत्तासी हज़ार ट्वीट के साथ #EVM_चोर_BJP अपना रंग दिखाता नज़र आया.

करम बंधन में बंध रहियो, फल की ना तज्जियो आस. कर्म मानुष का धर्म है, सत भाखै रविदास. संत रविदास इसके जरिए यह साफ साफ कहते हैं कि मनुष्‍य को हमेशा कर्म करते रहना चाहिए और उसे कभी भी कर्म के बदले मिलने वाले फल की आशा नहीं छोड़नी चाहिए. कर्म करना जहां इंसान का धर्म है तो फल पाना उसका सौभाग्‍य. इसी से प्रेरित होकर आखिर एग्जिट को एक्‍जैट कैसे माना जा सकता है. तभी तो आधे घंटे से ज्‍यादा चली पीसी में तेवर और तुनक दिखते रहे. वैसे यह कहानी थोड़ा हलक से नीचे उतरती भी नहीं है कि जीत जाओ तो इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन और हारने लगो तो EVM के उतने फ़ुल फ़ॉर्म सुनने में आने लगते हैं, जितने मुंह.

अखिलेश को एग्जिट पोल के मुंह इतनी लगने की जरूरत नहीं थी जितना वो लग गए. थोड़ा अपनी कद काठी का भी ख्‍याल रखना चाहिए. बेअंदाजी को सार्वजनिक रूप से भूलना चाहिए और जैसा वो वादा करते आए हैं वैसी सपा को सबके सामने उसी कलेवर में लाना चाहिए. ताप सूरज का बढ़ने दीजिए, मान अपना और अपनी पार्टी का बनाए रखिए. गजल वगैरह सुनकर या गुनगुनाकर लंबी थकावट को उतारना चाहिए जैसे पंजाब के लंबे समय तक कैप्‍टन रहे अमरिंदर सिंह कर रहे हैं… लोग ज़ालिम हैं हर एक बात का ताना देंगे…. चाहे कुछ भी हो सवालात ना करना उनसे.

कुछ ऐसे ही चुनिए और फ़ीलिंग लेते हुए कल आने वाले नतीजों का चैन से इंतज़ार करिए. जब तक अपनी आंखों से और कानों से ना देख और सुन लें तब तक अधीर होने से बचना चाहिए.

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